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दोस्त हाथ बढ़ाना रे

पुष्कर कुमार ‘भारती’
अररिया (बिहार)
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दोस्त जरा हाथ बढ़ाना रे,
जरा तू साथ निभाना रे
ऊंच-नीच का भेद-भाव,
छोड़ के गले मिलना रे।

दोस्ती है हमारी तेरी,
जन्म-जन्मान्तर की रे
आ जा तू अब इस जग,
को भी दिखाए यह दोस्ती रेl

बचपन से हम घूमते,
जिस गली-मोहल्ले में
चलो साथ मिलकर,
अब घूमते हैं वहाँ रे।

दोस्त जरा हाथ बढ़ाना रे,
जरा तू साथ निभाना रे
पुरानी बात भूल आ तू,
फिर गले मिलते हैं रे।

व्यस्त-सी इस दुनिया में,
हम याद करना भूल गये रे
हम जरा फिसल क्या गये,
लोगों ने और धक्का दे दिया रे।

दोस्त जरा हाथ बढ़ाना रे,
जरा तू साथ निभाना रेl
ऊंच-नीच का भेद-भाव,
छोड़ के गले मिलना रेll

 परिचय-पुष्कर कुमार का निवास ग्राम-दियारी(जिला-अररिया)में हैl इनका साहित्यिक उपनाम `भारती` हैl १७ सितम्बर १९९४ को कटही,सुपौल में जन्में हैंl जिला-अररिया और बिहार प्रदेश के वासी भारती फ़िलहाल स्नातक(राजनीति विज्ञान)में अध्ययनरत हैं तथा कार्यक्षेत्र विद्यार्थी के साथ ही लेखन का हैl लेखन विधा-कविता और लेख हैl हिंदी भाषा का ज्ञान रखते हैंl ब्लॉग पर लिखने वाले पुष्कर कुमार की रचना कहानी संग्रह में हैl साथ ही रचना का प्रकाशन पत्रिका में हुआ हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की कुरीतियों को लेखन के माध्यम से मिटाना और हिंदी भाषा का प्रसार करना हैl आपकी रुचि-लेखन  और किताब पढ़ने में हैl

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