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मानवता ही धर्म

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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मानवता तो धर्म है,जीवन का उजियार।
बिन मानवता ज़िन्दगी,जैसे हो अँधियार॥

पशुवत हो इंसान तब,जब करुणा हो लुप्त।
इंसानी जज़्बात बिन,जीवन सारा सुप्त॥

पूजा,स्तुति,वंदना,इनमें सीमित धूप।
पर मानवता श्रेष्ठतम्,प्रभुसेवा का रूप॥

मानव यदि करने लगे,मानवता का काम।
तब समझो यह ज़िन्दगी,कोई तीरथ धाम॥

बुध्द,यीशु देते सदा,मानवता-संदेश ।
मदर टिरेसा दे गईं,मानवता-आवेश॥

परहित को जो साधता,बनता वही विशिष्ट।
मानवता को लें बना,हम सब अपना इष्ट॥

मानवता श्रंगार है,आभूषण का रूप।
मानवता तो दोस्तों,मानो खिलती धूप॥

मानवता परमार्थ है,सेवा का प्रतिरूप।
साधारण इंसां बने,मानवता से भूप॥

खिल जाते सारे सुमन,जीवन बने महान।
यदि मानवता भाव से,हम जोड़ें पहचान॥

मानवता सबसे प्रखर,है धर्मों का धर्म।
वह है सबसे उच्च जो,समझे यह सच,मर्म॥

मानवता ना त्यागना,वरना जीवन व्यर्थ।
तब जीने का कोय भी,नहीं बचेगा अर्थ॥

मानवता गह लें ‘शरद’,तभी बनेगी बात।
होंगे जगमग दिन सदा,हो उजियारी रात॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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