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जनहित में धर्ममय राजनीति महती आवश्यक

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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‘राजनीति’ एक ऐसा क्षेत्र है,जो‌ समाज को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष सर्वाधिक प्रभावित करता है। ऐसी स्थिति में यदि राजनीति की दिशा और दशा सही नहीं होगी तो समाज को भारी क्षति पहुँचेगी। इस कारण धर्मतंत्र को चाहिए कि वह ‘राजनीति’ पर नजर रखे तथा उसके भटकाव को रोके। उसका मार्गदर्शन करे,जन-जागरण करे, जनमानस को यथार्थ-बोध कराए,सचेत करे व अनियंत्रित सत्ता पर लगाम लगाने के उपाय सुझाए। ‌उसे आगाह करे,न कि केवल कथा बाँचता रहे। राजतंत्र तो चाहेगा ही कि धर्मतंत्र‌ की दृष्टि उस पर न पड़े,और वह स्वेच्छाचारिता बरतता ‌रहे। इसी लिए राजतंत्र प्रायः यह दुष्प्रचारित करता रहता है कि,धर्मतंत्र का राजतंत्र के क्षेत्र में ‌क्या काम ? धर्म निरपेक्षता के नाम पर अपना स्वार्थ साधना ही वर्तमान राजनीतिज्ञों का एकमात्र लक्ष्य रह गया है।
सत्य तो यह है कि,आध्यात्मिक पृष्ठभूमि का व्यक्तित्व ही राजतंत्र की बारीकियों,छल-प्रपंचों, खुराफातों,तिकड़मों,झूठ-फरेबों व बदमाशी भरी चालाकियों को समझ सकने की ‌अन्तर्दृष्टि रखता है। और वही आम मानस को सम्यक् सचेत कर सकता है। इसलिए उसे यह कार्य अनिवार्य व अपरिहार्य मानकर सहर्ष करना चाहिए। उसके लिए यह एक पुनीत कार्य है,अतः उसे राजनीति से परहेज नहीं करना चाहिए। धर्म या अध्यात्म का अर्थ एकमात्र ‘माला-जपना’ तो नहीं होता है,बल्कि युक्तियुक्त कर्त्तव्य-निर्वहन ‌होता है, लोक-कल्याण में प्रवृत्त होना होता है। यहाँ तक कि आपात परिस्थितियों में जप-योग, ध्यान,तप,कथा-प्रवचनादि तक को भी कुछ समय के लिए ‘निलम्बित’ कर देना पड़ता है। ऐसे समय में ‘राष्ट्र-यज्ञ’ में आहुति देना ही सबसे बड़ा धर्म-कर्त्तव्य हो जाता है।
गुरु गोविन्द सिंह हमेशा माला और भाला की बात किया करते थे,पिछले समय में परशुराम जी,राम, कृष्ण सभी ने शस्त्र और शास्त्र दोनों का उपयोग किया है। वर्तमान समय भी कुछ ऐसा ही चल रहा है,क्योंकि इस समय भी राजतंत्र की दशा एवं दिशा सही नहीं है। आम-जनता लगातार ठगी जा रही है। झूठे वादों व प्रलोभनों के जरिए सत्ता हासिल करने का सिलसिला चल रहा है। येन-केन-प्रकारेण सत्ता हथियाना ही प्रमुख उद्देश्य बन चुका है। अतः,अब यही आवश्यक हो गया है कि आम-जनता को राजनीतिक दलों की बदमाशियों से आगाह कराया जाए,ताकि वे ठगी का शिकार न बनने पाएं। यह बड़े ही पुण्य का कार्य है। चालाक नेताओं की इन बातों में नहीं आना है कि,धर्मतंत्र को राजतंत्र से दूर ही रहना चाहिए। क्यों रहना चाहिए ? इसलिए कि, राजतंत्र स्वच्छन्द विचरण करे और आम-जनता को सताए ? कदापि नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं होने दिया जाना चाहिए, धर्मतंत्र द्वारा राजतंत्र को नियंत्रित रखना ही होगा,उसे मनमाना आचरण नहीं करने दिया जाएगा। यही सर्वथा समीचीन भी है | सभी देशभक्तों को खुले मन से इस पर विचार करने की जरूरत है।

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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