डॉ.हेमलता तिवारी
भोपाल(मध्य प्रदेश)
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आदमी का मन‐
कटा-फटा किनारा है,नदी का,
तभी खा जाता है जख्म‐
हर किसी के दंभी काँटों से‐
इसकी गहराई में कहां हैं
सीपी,घोंघे भावनाओं के‐
इसमें तो कीचड़ भरा है स्वार्थ का।
इसकी लहरों में उठती उमंगें कहां!
कटुता भर है कुछ पाने की‐
फिर भी भूल जाता है कि,
डुबा ही लेगा कोई न कोई
मुझे अहं का सागर अपने में‐
कल को इसकी सूखी स्वार्थी रेत
चुभेगी औरों को‐
सूखे काँच की तरह,
पर नहीं-सच तो यही है कि
आदमी अपनी असफलता की खीज निकालना चाहता है-
दूसरों को असफल देखकर,
इसलिए ही तो उथला-उथला है सब कुछ‐
पर धरातल नहीं है बौद्धिक।
तभी कल्पना लोक में
विचरण करते हुए,
अपनी इच्छाओं को साकार न देख
उबलता रहता है-व्यंग्य से,
ठोकर खाता और टूटता रहता है‐
फिर एक न एक दिन,
निगल ही लेता है
कोई न कोई,
आर्दशों पर रोता हुआ
झूठ का सागर॥
परिचय-डॉ.हेमलता तिवारी का जन्म १४ नवम्बर १९६५ को सागर में हुआ हैl वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निवास है,जबकि स्थायी पता भोपाल(मध्य प्रदेश) हैl बी.एस-सी,(जीवविज्ञान)बी.ए.(संगीत), एम.ए (संगीत, इतिहास, दर्शन,लोक प्रशासन,एजूकेशनल सायकोलॉजी, क्लीनिकल साय.,आर्गेनाइजेशनल साय.)एल.एल.बी.,पी.जी.डी.(लेबर लॉ एंड इण्डस्ट्रियल रिलेशन)सहित पी.एच-डी.(इन क्लीनिकल साय.), एम.बी.ए.(वित्त और मानव संसाधन) की शिक्षा प्राप्त डॉ.तिवारी का कार्य क्षेत्र-नौकरी हैl सामाजिक गतिविधि के तहत आप व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षक,परामर्शी सहित ज्योतिष लेखन में सक्रिय हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी एवं आलेख हैl हिन्दी सहित अंग्रेजी का भाषा ज्ञान रखती हैं।