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धारा ही बदल गई

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’
बहादुरगढ़(हरियाणा)
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न जाने क्यों,मालूम नहीं,
रिटायर्ड आदमी को ही
हर कोई बेकार में,बेकार-सा ही समझता है।
कामकाजी इंसान भी उससे दूर भागता है,
क्योंकि,वह हर समय अपनी ही
हांकता और फांकता है।
पत्नी कहती-`सारा दिन कुर्सी क्यों तोड़ते हो,
हर समय मोबाइल में,आँखें ही क्यों फोड़ते हो ?
जाओ बाज़ार से,कुछ जरूरी सामान ही ले आओl`
बहुरानी कहती-`साथ में मुन्नू को भी तो घुमा लाओ।`
अरे! रिटायर क्या हुआ,मेरी तो सरकार ही चली गई,
मुझको पत्नी जी भी गईं भूल,बहू के साथ ही पूर्णतया मिल गईं।
जब भी टी.वी. चलाता हूँ,बच्चे रिमोट ही छीन लेते हैं,
मैं चाहूं देखना समाचार,आस्था,वो पोगो,कार्टून लगाते हैं।
फिल्म देखूँ या गाना सुनूं,
कहते हैं,क्या जवानी आ गईl
योगा करूँ,तो कहते हैं,
अब जवान हो कर क्या करोगे ?
रिटायर क्या हुआ,मेरे तो जीवन की धारा ही बदल गई।
पड़ा हूँ,मंझधार में,किश्ती मेरी न जाने,कहाँ,किस ओर बह गई,
न जाने क्यों,हर बार,मेरी ही बात रह जाती है अनसुनी।
अब तो जब तक जीऊंगा,होती रहेगी,
खुद से खुद की,तनातनीll

परिचय–राजकुमार अरोड़ा का साहित्यिक उपनाम `गाइड` हैl जन्म स्थान-भिवानी (हरियाणा) हैl आपका स्थाई बसेरा वर्तमान में बहादुरगढ़ (जिला झज्जर)स्थित सेक्टर २ में हैl हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री अरोड़ा की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) हैl आपका कार्यक्षेत्र-बैंक(२०१७ में सेवानिवृत्त)रहा हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत-अध्यक्ष लियो क्लब सहित कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव हैl आपकी लेखन विधा-कविता,गीत,निबन्ध,लघुकथा, कहानी और लेख हैl १९७० से अनवरत लेखन में सक्रिय `गाइड` की मंच संचालन, कवि सम्मेलन व गोष्ठियों में निरंतर भागीदारी हैl प्रकाशन के अंतर्गत काव्य संग्रह ‘खिलते फूल’,`उभरती कलियाँ`,`रंगे बहार`,`जश्ने बहार` संकलन प्रकाशित है तो १९७८ से १९८१ तक पाक्षिक पत्रिका का गौरवमयी प्रकाशन तथा दूसरी पत्रिका का भी समय-समय पर प्रकाशन आपके खाते में है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार में आपको २०१२ में भरतपुर में कवि सम्मेलन में `काव्य गौरव’ सम्मान और २०१९ में ‘आँचलिक साहित्य विभूषण’ सम्मान मिला हैl इनकी विशेष उपलब्धि-२०१७ में काव्य संग्रह ‘मुठ्ठी भर एहसास’ प्रकाशित होना तथा बैंक द्वारा लोकार्पण करना है। राजकुमार अरोड़ा की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा से अथाह लगाव के कारण विभिन्न कार्यक्रमों विचार गोष्ठी-सम्मेलनों का समय समय पर आयोजन करना हैl आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-अशोक चक्रधर,राजेन्द्र राजन, ज्ञानप्रकाश विवेक एवं डॉ. मधुकांत हैंl प्रेरणापुंज-साहित्यिक गुरु डॉ. स्व. पदमश्री गोपालप्रसाद व्यास हैं। श्री अरोड़ा की विशेषज्ञता-विचार मन में आते ही उसे कविता या मुक्तक रूप में मूर्त रूप देना है। देश- विदेश के प्रति आपके विचार-“विविधता व अनेकरूपता से परिपूर्ण अपना भारत सांस्कृतिक,धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप में अतुल्य,अनुपम, बेजोड़ है,तो विदेशों में आडम्बर अधिक, वास्तविकता कम एवं शालीनता तो बहुत ही कम है।

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