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नमन मातृभाषा को

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष….

हिंदुस्तानी हैं हम,हिंदी हैं हम,
हिंदी ही है हमारी मातृभाषा।

भारत की माटी में ही हमने जन्म लिया है,
ज्ञान गुरु से जब मिला,हिंदी में ही दिया है।

हम भारतीयों का नारा है,
राष्ट्रीय भाषा हिंदी गर्व हमारा है।

हिंदी भाषा का,हम सब मिलकर सम्मान करें,
हिंदी भाषा से अपनी भारत माता का गान करें।

हिंदी भाषा से ही जीवन में उत्थान मिला,
इसी भाषा से ही धर्म-कर्म का ज्ञान मिला।

हिंदी भाषा से गुरुकुल में,गुरुवर ने सभी ज्ञान दिया,
हिंदी भाषा से वीरों ने स्वर्ण पदक का सम्मान लिया।

हिंदी भाषा में ही श्री रामकथा की रामायण है,
महाभारत है,गीता है,हर घर में वेद पुराण है।

हिंदी भाषा के स्वर्ण अक्षरों में लिखा वीरों का सम्मान है,
हर हिंदुस्तानी की हिंदी भाषा अपनी पहचान है।

आओ मिल करें अभिनंदन,जय बोलें अपनी मातृभाषा की।
जय बोलो भारत माता की,जय बोलो हिंदुस्तान की॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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