कुल पृष्ठ दर्शन : 216

You are currently viewing संतुष्टि

संतुष्टि

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

**********************************************************************

सबसे अच्छी,सबसे सस्ती,है मन की संतुष्टि ही,
मन में रहती पर न मिलती,कभी किसी को संतुष्टि।

सुखों की जननी,दुखों की हरनी है जग में संतुष्टि ही,
मिल के भी जो कभी न मिलती ऐसी भी है संतुष्टि।

बेचैनी की सौतेली बहना,मन में रहती संतुष्टि ही,
त्याग भाव को सब कुछ देती,कुछ कभी न लेती संतुष्टि।

जीवन वो तर जाते हैं,जिस मन को मिली है संतुष्टि,
व्यर्थ रही वो खोज,न पाई जिसने अपने मन में संतुष्टिll

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply