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स्वार्थ प्रेम नहीं

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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काव्य संग्रह हम और तुम से….

प्रेम करो निस्वार्थ भाव से,
स्वार्थ प्रेम नहीं है।
त्याग और विश्वास जहाँ हो,
सच्चा प्रेम वही है॥

बिना प्रेम के ये जीवन ही,
लगता सूना सूना।
प्रेम होय यदि जीवन में तो,
विश्वास बढ़े दूना॥

ईश्वर की स्वाभाविक कृति है,
प्रेम कृत्रिम नहीं है।
प्रेम में होती उन्मुक्तता,
स्वच्छन्दता नहीं है॥

प्रेम बस देना जानता है,
नाम नहीं लेने का।
आकंठ डूब जाता जिसमें,
नाम नहीं खोने का॥

इंसानियत की नई राहें,
प्रेम ही दिखाता है।
अहं भाव से ऊपर उठना,
प्रेम ही सिखाता है॥

जुबां खामोश हो जाती है,
नजर से बयां होता।
प्रेम इक पावन अहसास है,
मन से मन का होता॥

प्रेम सुवासित करता मन को,
जीवन सफल बनाता।
सृष्टि के कण कण में सुशोभित,
होकर ये महकाता॥

सहज और निर्विकार प्रेम
प्रेरित ये करता है।
लौकिक नहीं अलौकिक है ये,
देने से बढ़ता है॥

जड़ व चेतन सब जगह व्याप्त,
नहीं प्रेम की भाषा।
तोड़े नहीं जोड़ता है ये,
देता यही दिलासा॥

प्रेम का पात्र वह होता है,
जिसकी ना अभिलाषा।
बदले में माँगे ना कुछ भी,
ना हो कोई आशा॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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