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है गर्व मुझे इस धरती पर

रोशनी दीक्षित
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……….


हरियाली की चादर ओढूँ
गेरुआ मेरा बिछौना है।
है नील वर्ण की छत मेरी,
और श्वेत पसीना मेरा है।
जिस देश के हर एक हिस्से में,
तिरंगे की नक्काशी है…।
है गर्व मुझे इस धरती पर,
जिस देश के हम सब वासी हैं॥

रंग लहू का एक हमारा,
हम एक ही धर्म निभाते हैं।
वतन की रक्षा करने हेतु,
सीने पर गोली खाते हैं।
जब भी हमारी भारत माँ को,
किसी ने आँख उठाकर देखा है।
इतिहास गवाह है तब हमने,
उसे देखने लायक ही नहीं छोड़ा है।
हर रूह यहाँ की मक्का है और,
जर्रा-जर्रा काशी है…।
है गर्व मुझे इस धरती पर,
जिस देश के हम सब वासी हैं॥

धरती से सूरज तक की,
दूरी हमने ही नापी है।
शून्य भी खोजा है हमने,
हमारी संस्कृति भी विश्वव्यापी है।
सुन मल्हार की तान हमारी,
बिन बादल मेघ बरसते हैं।
इस पावन भूमि में लेने अवतार,
देवता भी तरसते हैं।
हर नार यहाँ की लक्ष्मी है,
हर नर में बसती झाँसी है…।
है गर्व मुझे इस धरती पर,
जिस देश के हम सब वासी हैं॥

जब-जब दुनिया में संकट के,
काले बादल मडराएँ हैं।
तब-तब भारत ने राहों में,
उम्मीद के दीप जलाए हैं।
‘कोरोना’ महामारी से जब,
सारी दुनिया थर्राई है।
‘सर्वे संतु निरामयाः’ उद्घोष से,
वैक्सीन भी हमने बनाई है।
इस भारत के अस्तित्व से,
सारी दुनिया अविनाशी है…।
है गर्व मुझे इस धरती पर,
जिस देश के हम सब वासी हैं॥

परिचय- रोशनी दीक्षित का जन्म १७ जनवरी १९८० को जबलपुर (मप्र)में हुआ है। वर्तमान बसेरा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्थित राजकिशोर नगर में है। स्नातक तक शिक्षित रोशनी दीक्षित ने एनटीटी सहित बी.एड. एवं हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है। इनका कार्य क्षेत्र-शिक्षिका का है। लेखन विधा-कविता,कहानी,गज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार व विकास है।

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