शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान)
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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……….

आया है गणतंत्र दिवस आओ इसे मनाएं,
बीते वर्ष इकहत्तर पर यादों के फूल चढ़ाएं।
आज इसी दिन को हमने अधिकार हमारा पाया,
तब से हमने भारत में गणतंत्र दिवस मनाया।
सर्व धर्म का देश हमारा,सब हैं एक बराबर,
आज के दिवस भारत नभ पर चमका नया दिवाकर।
बने नियम कानून सभी के,हित में आने वाले,
लाद गए हम पर अंग्रेजी फिर भी जाने वाले।
सही गुलामी वर्षों हमने,फिर आज़ादी पाई,
लड़ते रहे न हिम्मत हारी,खूनी सदा लड़ाई।
संघर्षों के बाद बहुत ही,खुशियाँ पाई हमने,
हो गए हम स्वतन्त्र,बज गई आजादी शहनाई।
अपना संविधान लागू कर,हमने जश्न मनाया,
भीमराव आम्बेडकर जी ने ये इतिहास रचाया।
भारत के वीर जवानों ने था अपना लहू बहाया,
जेल में गाँधी बाबा ने भी कितना कष्ट उठाया।
नेहरू,गाँधी,पटेल की कुर्बानी याद रहेगी,
क्रांतिकारियों की यादें भी दिल में खूब पलेगी।
जितने हुए शहीद उन्हें सब श्रद्धासुमन चढ़ाएं,
स्नेह सिक्त नयनों से उन पर आँसू चार बहाएं।
आया है खुशियों का दिन सब मिलकर खशी मनाओ,
आसमान से ऊँचा अपने तिरंगे को फहराओ॥
परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।