२ धूर्त

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** केशव और यश के गाँव पास-पास थे। एक बार वहाँ एक मेला लगा। वे दोनों भी कुछ कमाने के उद्देश्य से मेले में गये। केशव ने एक बोरे में सस्ती रुई भर कर उसके ऊपर बढ़िया ऊन रख ली। दूसरी ओर यश ने एक बोरे में पुराने कपड़े भर कर … Read more

चान्डाल चौकड़ी की पिकनिक

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. टिंकू मेंढक,पिंकी गिलहरी,टफी कछुए और गोलू पिल्ले की टोली जंगल में चांडाल चौकड़ी के नाम से प्रसिद्ध थी। जमीन पर,पानी में और पेड़ों पर भी इनके उपद्रव का अंत न था। पेड़ के नीचे से निकलने वालों पर फल या फलों की गुठलियाँ गिराना,नदी के … Read more

माँ का आलिंगन

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** हिन्दी मेरी माँ है, सुखदायक है आलिंगनl ज्यों माँ की गोद में आ कर, सन्तति पाती सुख अनुपमl भरपूर प्रयास किए और, साधा आंग्ल भाषा कोl पर वह सुख नहीं मिला जो, पाया हिन्दी को पा करl लिपि भी निर्दोष है इसकी, जो लिखना,वही बोलनाl क्या पा सकते हो यह … Read more

नटखट कान्हा

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. चलन लागे कान्हा ठाड़े ह्वै पल में बाहर,पल में भीतर जसुमति पाछे धावे, जो पावें धरती पर पटकें मोहन मोद मनावें, ताली बजा-बजा कर हुलसत झटपट बरतन फेंके रोकत मैया करकमल गहि नँद बाबा भी रोकें, रोक-टोक सों खीझे कान्हा रोवें मुख फैलाय, ततछन मुख महिं … Read more

लक्ष्मी की वापसी

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** बात तब की है,जब मैं बनारस में डी.आई.ओ. एस. थी। वैसे तो नगर के सभी इन्टर कालेज मेरे अधीन थे,पर एक इन्टर कालेज की मैं पदेन प्रबन्ध संचालक थी। पदेन का अर्थ है कि उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार जो भी बनारस का डी.आई.ओ.एस. होता,वही उस विद्यालय का प्रबन्ध … Read more

श्रृंगार धरा का

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… आओ करें श्रृंगार धरा का, नूतन वस्त्राभूषणों से हरीतिमा की चुनर लाओ, शर्माई धरती को सजाओl पुष्पगुच्छ के कर्णफूल हों, पकी फ़सल हो स्वर्णमेखला कर सोलह श्रृंगार वधू का, प्रियतम के समीप ले जाओl कलकल ध्वनि से वह हास करे, खग कलरव से नित नृत्य … Read more

ओले

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** व्यथित बहुत तू जी भर रो ले, रो मेरे मन हौले-हौले… सुबह हुई फिर वही उदासी, संगी न कोई,न कोई साथी… रीती-सी इन आँखों में अब, चाह नहीं अब कोई बाकी अश्रु गिराते दु:ख के ‘ओले’ रो मेरे मन हौले-हौले। आ पहुँचा ऋतुराजी मौसम, मेरे लिये सभी एकसम… मैं हूँ … Read more

ज़रा सोंचो..

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** कन्याभोज करने वालों तुम ध्यान से मेरी बात सुनो, यदि आये पसन्द यह बात मेरी तो इसको भरे समाज कहो। यूँ तो छोटी बच्ची को तुम देवी कह पूजा करते हो, पर वहीं अजन्मी कन्या को यमलोक तुम्हीं पहुँचाते हो। मासूम बच्चियों को पाकर राक्षसों की लार टपकती है, वह … Read more