दोषी कौन…?

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** (‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ की स्थिति पर आधारित) गैरों की हम बात करें क्या,हम अपनों से हारे हैं। और शिखण्डी सरकारें अब,खेल खेलती सारे हैं॥ शिक्षा के मंदिर में जिसने,रणभेरी खूब बजाई थी। जिसकी भाषा पर भारत माँ,रोई और लजाई थी॥ जिसने माँ के आँचल पर भी,सरेआम आ थूका था। … Read more

मजदूरों के नाम पर मजाक

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** परिभाषा मजदूर की,पूछ रहे हैं आप। ‘बबुआ’ इतना जानिए,जीवन का अभिशाप॥ दीन-हीन कुंठित पतित,भूखा फिर लाचार। बबुआ है मजदूर का,इतना-सा व्यापार॥ सभी सृजन के मूल में,छिपा हुआ मजदूर। बबुआ कैसे हो गया,फिर आँखों से दूर॥ आसमान चादर बना,धरती बन गई खाट। मजदूरों के बस यही,बबुआ देखे ठाठ॥ मजदूरों के नाम … Read more

शुचिता की परिभाषा

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** आओ गीत सुनाऊँ तुमको, ‘शुचिता की परिभाषा’ का, मनभावों में पलता है उस,जीवन की अभिलाषा का। इन नयनों में नेह-स्नेह की,बहती निर्मल धारा हो, दीन-दु:खी की पीड़ा का भी,सच्चा दर्द हमारा हो। दया धर्म का भाव हमारे,जीवन का आधार रहे, खुशियों से परिपूरित अपना,सारा ही संसार रहे। हर भूखे को … Read more

संस्कार के बीज

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** दर्पण कितने बदले तुमने,चेहरे को तुम बदल न पाए। नेेह-स्नेह के भाव कहो क्यूँ,अब तक तुममें मचल न पाए। चाँद-सा चेहरा भोली सूरत,दर्शन में बड़े सुहाने हो। इस माटी में संस्कार के,बीज कहो क्यूँ पल न पाए। परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, … Read more

देश का प्रहरी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** पुण्य प्रण प्रति प्राण पूजित,पावनी पावन धरा। है समर्पण और अर्पण साँस का सावन हराll रक्त का हर कण समर्पित,साँस के कतरे सभी। जिंदगी के पल समर्पित,आज हों या हों अभीll रक्त की प्यासी धरा के,जो सरोवर हो गए। भारती के रजकणों में,तन रतन ही खो गएll देश का प्रहरी … Read more

ऐसी भी मजबूरी कैसी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** दो शब्द नेह के लिखे हैं लेकिन,शायद ही पढ़ पाओ तुम। साजन याद बहुत आती है,जैसे हो आ जाओ तुम॥ पाती में ही कब तक बोलो,शब्दों का संसार लिखूँ। संग बिताए थे पल हमने,क्या उनका आभार लिखूँ॥ टूट गए जो ख्वाब हे साजन,फिर से आन सजा जाओ। साजन याद बहुत … Read more

अश्क

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जो पिघल कर हिमशिखर से,नीर बनकर बह गया, वो धरा की प्यास को भी,तृप्त-सा ही कर गया। किंतु नयनों से जो छलका,नीर तो वो भी रहा, अनकही-सी प्यास क्यूँ फिर,वो हमीं में भर गया॥ वेदना की थी अनल जब,और टूटी आस थी, हो सकेगी तृप्त न वो,एक ऐसी प्यास थी। … Read more

फूल खिलाएं दीप जलाएं

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** पुण्य धरा की पावन माटी,आओ हम सम्मान करें, कंचन जैसे संस्कार पर,आओ हम अभिमान करें। मात-पिता के श्रीचरणों पर,श्रृद्धा सुमन चढ़ाओ तो, श्रीगुरुवर के उपकारों पर,अपना नेह जताओ तो। नेह स्नेह के भावों को यूँ,मन में आज सजाएं, दीन-दु:खी की सेवा के हम, ‘फूल खिलाएं दीप जलाएं॥’ आतंकवाद पर कहो … Read more

तुम्हारी प्रीत के पौधे

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** झुकी पलकें अगर मेरी,तेरा मैं मान करता हूँ, उठी पलकें तो मानो यूँ,तेरा गुणगान करता हूँ। अगर पलकें हुई बोझिल,तो समझो याद करता हूँ, अगर हों बंद पलकें तो,बस फरियाद करता हूँ॥ नयन के नूर को किसने,कहाँ कैसे भुलाया है, तुम्हें पलकों के झूले में,सदा मैंने झुलाया है। तुम्हारे नेह … Read more

खरी-खरी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिन्हें वतन के आदर्शों का,दर्प दिखाना था जन को, सत्य और सुचिता के पथ पर,जिन्हें चलाना था मन को। जिन कंधों को संस्कार का,भार उठाया जाना था, जिनको अपनी नीति नियत का,प्रहरी हमने माना था। भले-बुरे का भेद बताकर,सत्य उगलना था जिनको, नेह स्नेह के हिम शिखरों-सा,नित्य पिघलना था जिनको। … Read more