लंदन तक थर्राता था

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** आदर्शों के साँचे में वो,सहज सरल ढल जाता था,किन्तु तनिक त्योरी चढ़ती तो,लंदन तक थर्राता था।जिसने सत्य-अहिंसा को अपना हथियार बना डाला-ऐसा पुण्य विलक्षण जीवन,सबके मन को…

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अंतस में हे मित्र तुम्हीं हो

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** साँस-साँस में कृष्ण बसे हैं,रोम-रोम में राम,अंतस में हे मित्र तुम्हीं हो,निरख रहे नयना अभिराम।तनहा-सा मैं दूर खड़ा हूँ,और नेह से तुम्हें निहारूँ-स्वीकार करें हे मेरे प्रियवर,मेरा…

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गर रात नहीं हो इस जग में

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** कल रात अंधेरा घना था लेकिन,भोर की आशा बाकी थी।जगे हुए इन नयनों में भी,कुछ जिज्ञासा बाकी थी॥ अंधियारे जब सृजित हुए तो,कुछ तो अर्थ रहे होंगे,या…

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प्रियतम बिन सूना यह सावन

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जब पूनम का चँदा देखूँ,मैं दरिया के पानी में।जैसे प्रियतम ने छेड़ा हो,मुझको भरी जवानी मेंllप्रियतम बिन सूना यह सावन,अब तो प्रियतम आ जाओ,तन-मन मचल रहा है…

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हे लाल तुम्हारा अभिनन्दन है

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जिनकी खातिर व्यक्ति नहीं ये,देश समूचा अपना है।जिन आँखों में भारत माँ की,माटी का ही सपना है॥ वतन परस्ती में छोड़ा है,अपने घर परिवारों को,जो जीवन में…

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इम्तिहान बाकी है

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** बहुत निकले मगर फिर भी,कई अरमान बाकी हैं।बची साँसें ये कहती हैं,अभी इम्तिहान बाकी हैं। भले अब चल तो लेता हूँ,नहीं दिक्कत जरा सी भी,लगी जो ठोकरें…

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बेटियाँ

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जानता हूँ नेह का,आधार बेटियाँ।घर नहीं,होतीं हैं ये परिवार बेटियाँ।। हर पिता की आँख का,नूर तो होती ही हैं,होती हैं माँ के प्यार का,इजहार बेटियाँ।जैसे तुलसी आँगन…

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मुहब्बत भी ज़रूरी थी,बिछड़ना भी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)****************************************************************** छिपा था नेह दिल में वो,निकलना भी ज़रूरी था।नयन में ख्वाब थे उनके,मचलना भी ज़रूरी था॥ चुनाचे ईद का मौसम,अगर महताब दिख जाए,छिपा बादल की चिलमन में,मगर…

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रोटियाँ

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)****************************************************************** भूख का श्रृंगार तो,होती हैं रोटियाँ,और माँ का प्यार भी,होती हैं रोटियाँ।जिंदगी बेशक लहू की, कर्जदार हो,रक्त का आधार तो, होती हैं रोटियाँ॥ भूप हो या भूप…

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जीवन को बचाना है तो…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** गाँव गली या शहर मुहल्ला,एक देश की बात नहीं है, हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई,'कोरोना' की जात नहीं है। सारी दुनिया जिसकी जद में,अब तो बाकी…

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