हमको भी अधिकार चाहिए

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** प्यार मुहब्बत भाईचारा,हमें आपका प्यार चाहिए, सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए। घर के बड़े-बुजुर्गों ने तो,हम पर जीवन वारा है, अपनी हर…

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निवर्तमान वर्ष २०१९

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** हे वर्ष तुम्हारे विदा पर्व पर,कोटि-कोटि तुमको प्रणाम। नमन तुम्हारा त्याग समर्पण,नेह निबन्धन नित निष्कामll हे वर्ष तुम्हारी छाया में ही,जाने कितने मित्र मिले हैं।…

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भोर का नमन

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** पुस्तक `गीत गुंजन` से........... तर्ज:फूल तुम्हें भेजा... ऐ माँ तुम्हारे चरणों की ये,धूल भी कितनी पावन है। इस मिट्टी में जीवन का हर,पतझड़ भी तो…

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अजीब-सी जिन्दगानी है…

रेणू अग्रवाल हैदराबाद(तेलंगाना) ************************************************************** अजब प्यार की कहानी है। ये जज्बात तो रूहानी है। कौन किसको समझ पाया, अजीब-सी जिन्दगानी है। मेहनत जो कर रहा है उसकी, पसीने से तरबतर…

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साहित्य क्या है ?

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसमें मानव के दर्शन हो, जो पावन पुण्य समर्पण हो। जो संस्कार की बोली हो, जो ताप निकंदन होली हो॥ जो वाहक हो परिपाटी का,…

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मीरा उवाच

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** प्रीत प्रतीत परम प्रिय पावन,प्रिय पुनीत पुनि प्राण पखेरू। केहि विधि नेह जतावहु कान्हा,मैं पदरज तुम विकट सुमेरूll धरी अधर मुस्कान पिया हित,छलकत नीर नयन…

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हवा जहरीली

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** नन्हें-नन्हें बच्चों की भी,अब आँखें क्यूँ गीली हैं, सुर्ख हरे पौधों की पत्ती,हरी नहीं क्यूँ पीली है। पावन पुण्य पवन भोर का,कड़वा कड़वा लगता है,…

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मानव मूल्य कहाँ बच पाए…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** स्वार्थ परस्ती में बोलो अब, 'मानव मूल्य कहाँ बच पाए', मानव तो कहलाते हैं पर,मानवता हम कब रच पाए। नारी के शोषण पर बोलो,क्या आँखें…

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प्यास

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जाके दिल में हो सदा,नेह स्नेह की प्यास। बबुआ उनसे राखिये,अपनेपन की आस॥ बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जो बड़पन न आय। जैसे सागर तीर से,बबुआ…

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सूखेगा कब आँख का पानी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** घन घन घन घनघोर घटाएं,घहर घहर घबराते बादल। भरी दुपहरी दीख रहा है, सूरज को भी अस्ताचल॥ बिजली कड़की बादल बरसे,जैसे अम्बर टूट गया हो।…

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