सरस्वती वंदना

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  (रचनाशिल्प:मापनी २१२२ २१२२ २१२) शारदे यश बुद्धि विद्या ज्ञान दे। पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे॥ श्री कलाधारा सुनासा वरप्रदा। शारदा ब्राह्मी सुभद्रा श्रीप्रदाll भारती त्रिगुणा शिवा वागीश्वरी। गोमती कांता परा भुवनेश्वरी॥ पुण्य इस भारत धरा पर ध्यान दे। माँ तनिक भी मत हमें अभिमान दे॥ … Read more

सबल हुई बेटियाँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  ज़ुल्म सह के भी तो नेह बो रहीं हैं बेटियाँ, ज़िम्मेदारियों का बोझ ढो रहीं हैं बेटियाँ। सबल हुयीं सफ़ल हुयीं मुसीबतों को झेल कर, धीरे-धीरे चल के आगे हो रहीं हैं बेटियाँ॥ परिचय-सुश्री अंजुमन मंसूरी लेखन क्षेत्र में साहित्यिक उपनाम ‘आरज़ू’ से ख्यात हैं। जन्म ३० … Read more

तो ग़ज़ल होती है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  दिल ये उम्मीद सजाए तो ग़ज़ल होती है, हौंसला टूट न पाए तो ग़ज़ल होती है। मुझसे मिलने जो तू आए तो ग़ज़ल होती है, और फिर लौट न पाए तो ग़ज़ल होती है। ख़ून के रिश्तों से बढ़कर कोई दिल का रिश्ता, उम्रभर साथ निभाए तो … Read more

थर्मस की चाय

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  जब से होश संभाला था,वह सभी गृह कार्य बड़ी निपुणता से करती आयीं थी। बेटी,बहन और बहू बनकर तो बड़ों का ध्यान रखने के सारे फर्ज निभाए ही,किंतु सास बनने पर भी कार्यों से निवृत्ति ना मिली थी उन्हें। नयी बहू की आदत देर तक सोने की … Read more

रोशनी के हमसफ़र

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हम खजाना छोड़ दें,पर क्या ज़माना छोड़ दें, ज़ुल्म से डर कर कहो क्या हक़ जताना छोड़ दें। कोई हक़ मांगे ही क्यों जो फर्ज़ सब कर लें अदा, हक़ से मज़लूमों के हक़ पे हक़ जमाना छोड़ दें। इन चराग़ों से हसद की आग भड़केगी नहीं, … Read more

आख़िर किस लिए

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हो गया नाकाम आख़िर किस लिए, अम्न का पैग़ाम आख़िर किस लिए। क्या यही है सच बयानी का सिला, उफ़! ये क़त्लेआम आख़िर किस लिए। ख़ौफ़ से तेरे न सच बोला कोई, फ़िर मचा कोहराम आख़िर किस लिए। दल बदल कर दल सभी दल-दल हुए, वोट दे … Read more

मुनासिब है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  साहिल की अहमियत को मझधार मुनासिब है, मझधार में हिम्मत की पतवार मुनासिब है। ख़ुशबू के लिए मसला जाता हो अगर गुल को, गुल के लिए गुलशन में ये ख़ार मुनासिब है। है सब्र बड़ी नेमत तस्लीम मुझे लेकिन, गर आन पे बन आए हुंकार मुनासिब है। … Read more

न कहना ख़ुदा भी नहीं रहा अब तो

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  ख़ुशी का कोई सिला भी नहीं रहा अब तो। यहाँ ग़मों का पता भी नहीं रहा अब तो। ख़ता हुई तो मुझे उसने ये सज़ा दी है, किया मुआफ़ ख़फा भी नहीं रहा अब तो। जो अश्क़ का था समंदर उदास आँखों में, हुआ न ख़ुश्क भरा … Read more

कसक

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  संघर्षों का ये फल है क्या, बेमतलब कोलाहल है क्या। हमको तुमसे लड़वाएगा, सियासतों का दंगल है क्या। ये जो नफ़रत फैलाते हैं, कोई इनका कायल है क्या। क़ातिल को मेरा बतलाया!! क्या कहता है ? पागल है क्या ? हर मजहब ये सिखलाता है, हिंसा भी … Read more

रंज-ओ-ग़म गुनगुना लीजिए

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  एक नग़मा बना लीजिए, रंज-ओ-ग़म गुनगुना लीजिए। अपनी कमियों के एहसास को, बांसुरी सा बजा लीजिए। राह के ख़ार को चूम कर, मुश्किलों को सजा लीजिए। दर्द ने मीर-ओ-मीरा गढ़े, दर्द का भी मज़ा लीजिए। शम्स हो जाए गर चे गुरूब, शम’अ बन जगमगा लीजिए। सच का … Read more