पर्यूषण पर्व मन निर्मल करने आया

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’दिल्ली(भारत)************************************************ पर्यूषण पर्व आया,मन के अंतःकरण में पावनता लाया,हृदय में दया,अहिंसा,क्षमा,सदव्यवहार जगाने आया। पर्यूषण पर्व ने मन निर्मल,तन उज्जवल,दिल में प्रीत भर दी,क्षमा-याचना करने‌ से कटुता मिटी,ज़ुबां मृदुभाषी कर दी। मेरे मन मंदिर में महावीर स्वामी ने मुझको प्रेरणा दी,मैं अपने दिल से सब बैर-भाव को भुलाकर करुणानिधि बनी। मेरे महावीर … Read more

सर्वश्रेष्ठ श्री गणेश

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’दिल्ली(भारत)************************************************ गणेश चतुर्थी विशेष….. श्री गणेश,हे श्री गणेश,सर्व गुणों में सर्वश्रेष्ठ। बुद्धि के प्रखर विधाता,जो तेरे दर पर आता। सर्व सुख सम्पत्ति पाता,लड्डू तुम्हें है भाता। सारे जग के तुम विधाता,जो तेरी आरती गाता। परम सुख सम्पत्ति पाते,शिव गौरां के लाल कहाते। सबके मन को बहुत भाते,बिगड़ी सबकी तुम्हीं बनाते। सभी … Read more

बारिश देख बरसती आँखें

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’दिल्ली(भारत)************************************************ जब छम-छम बरसा पानी मोरी अंखियाँ बरस गई,पिय की झलक देखने को मोरी अंखियाँ तरस गई। इक तो सावन में सजन जी तोहरी याद सताए,दूजे मुआ ये सावन मोरे हिय में आग लगाए। नैनन पानी बरस गया मैं लोक-लाज शरमाई,कुछ भी समझ न पाई जब बारिश में आँसू छुपाई। बेदर्दी … Read more

सुख के दिन

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’दिल्ली(भारत)************************************************ ‘सुख के दिन’ तो तब आएँगे जब हम सब सत्कर्म करेंगे,कर्म के साथ-साथ पूजा,दान-पुण्य स्वधर्म समझेंगे। बुरे दिन तब टल जाएँगे सुख के दिन तेरा इंतजार करेंगे,भाग्य भरोसे मत बैठो मानुष सुख-चैन कभी न मिलेंगे। चाहत रखता सुख के दिन की,तो मात-पिता की सेवा कर ले,जन्मदाता को भूल गया सबसे … Read more

वृक्षों की वेदना और विनती

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* पर्यावरण दिवस विशेष…. सड़कें चौड़ीकरण हेतुजीवित पेड़ों को काटा गया,इक-इक अंग कटकर इनका…कई घंटों तक कराहता रहा। कराह गहरी सुन वृक्षों कीह्रदय जनमानस व्यथित हुआ,चोट कुल्हाड़ी की पड़ते देख…दिल इंसानों का दहल गया। कुछ पल पहले हँसता खेलतापादप चिरनिंद्रा में लीन हुआ,कितने ही पेड़ों की छाती से…निकले लहू से लथपथ … Read more

फूल-सा बच्चा

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* तन पर नहीं वस्त्र,सर पर नहीं छतनिर्भाव तटस्थ मन,निर्भार-सा तन।हाथों में थमे पुष्प,इत्र फैलाएँ सर्वत्रहरियावाल के मध्य,फिर भी शुष्क लब।भावी चिन्तन,खोखले शब्दऊँघता गगन,सोए स्वप्न।मासूम बचपन,तोड़ता कमल।बंजारा अंतर्मन,बना दर्पण॥ परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को … Read more

जीतेंगे जिंदगी की जंग

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* जीवन है पुर अमन,जानता है हमारा मनमन-आँगन में ढेरों अंजुम,गुनगुनाते हुए जाते हैं सहम!क्यूंकि,जीवन में खुशियाँ कम,और ज्यादा हैं गम।सम्भाला है जबसे होश,रहे खेल काँटों से हमसुखद एहसास दोस्ती का,अन्तर्मन कर देता नम।तकलीफ़ हो जाती खत्म,जगती मन में नई उमंगआएंगे स्वर्णिम हमारे भी दिन,है विश्वास हमारा अटल।होती है ताकत सच्चाई … Read more

प्रथम पाती

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* चाहती हूँ फूल बन तुम पे बिखर जाना, चाहती हूँ बादल बन तुम पे बरस जाना। संदेश नवजीवन का सुनाना चाहती हूँ- प्रथम पाती प्रेम की सुनाना चाहती हूँ॥ परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ … Read more

बसंत का आना मानो…

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)***************************************************** बसंत का आना मानो…गोरैया का चहचहानाप्रभात गीत सुनाना,भूरी शाखाओं में सेनन्हीं-नन्हीं-सी हरी,कोंपलों का फूटनासप्ताह बाद कोंपलों का,कोमल हरे पत्तों मेंतब्दील हो जाना…। बसंत का आना मानो..अधरों की पँखुरी से,झरते सुन्दर अल्फ़ाज़मन-फ़लक पर उगता,उज्ज्वल रूपहरा चाँदकलम लिखने को बेताब,उल्लासित हिय का उल्लासहर्फ़ों में यौवन-सा उन्माद,बज उठा मानो अंतःनाद…। बसंत का आना … Read more

प्रेम

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)***************************************************** प्रेम शब्द में नहीं,भावों में हैंसूरज में नहीं,व्याप्त रोशनी में है।धूप में नहीं,फैली किरणों में हैआसमां में नहीं,सितारों के सौन्दर्य में है।वीरान पर्वत में नहीं,बहते झरने में हैबदरा में नहीं,बरखा में है।बंद पिंजरे में नहीं,पंछियों केगीतों में,छलकता है।फूलों में नहीं,खुशबू में समाहित हैससीम नदी में नहीं,असीम समन्दर में है।स्थिरता में … Read more