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प्रेम

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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प्रेम शब्द में नहीं,
भावों में हैं
सूरज में नहीं,
व्याप्त रोशनी में है।
धूप में नहीं,
फैली किरणों में है
आसमां में नहीं,
सितारों के सौन्दर्य में है।
वीरान पर्वत में नहीं,
बहते झरने में है
बदरा में नहीं,
बरखा में है।
बंद पिंजरे में नहीं,
पंछियों के
गीतों में,
छलकता है।
फूलों में नहीं,
खुशबू में समाहित है
ससीम नदी में नहीं,
असीम समन्दर में है।
स्थिरता में नहीं,
लहरों की हलचल में है॥

प्रेम
तख्ती नहीं,
लिखावट है
किताब नहीं,
खूबसूरत अक्षर हैं।
मैदान में नहीं,
खेल में है
भवनों में नहीं,
बच्चों की हँसी में है।
मिट्टी के दीए में नहीं,
उसकी ज्योति में है
बंधन में नहीं,
अपनत्व की छुअन में है।
जंजीरों में नहीं,
उन्मुक्तता में है॥

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