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बसंत का आना मानो…

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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बसंत का आना मानो…
गोरैया का चहचहाना
प्रभात गीत सुनाना,
भूरी शाखाओं में से
नन्हीं-नन्हीं-सी हरी,
कोंपलों का फूटना
सप्ताह बाद कोंपलों का,
कोमल हरे पत्तों में
तब्दील हो जाना…।

बसंत का आना मानो..
अधरों की पँखुरी से,
झरते सुन्दर अल्फ़ाज़
मन-फ़लक पर उगता,
उज्ज्वल रूपहरा चाँद
कलम लिखने को बेताब,
उल्लासित हिय का उल्लास
हर्फ़ों में यौवन-सा उन्माद,
बज उठा मानो अंतःनाद…।

बसंत का आना मानो…
हवाओं के पाँव में,
घुंघरूओं का बजना
फ़िज़ाओं का बिन कहे,
कानों में गुफ़्तगू करना
रतजगे नयनों पर,
हल्का सुरूर छा जाना।
बाँसुरी की मृदुल धुन पर,
प्रेम गीतों को गाना…॥

परिचय-उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

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