भारत महान देश है दोस्तों

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** भारत महान देश हमारा है दोस्तोंl पूरे जहां में हिन्द सितारा है दोस्तोंl सब जानते हैं जंग से इसका न वास्ता, लड़ना पड़े तो सबको पछाड़ा है दोस्तोंl गंगा युगों से देश की सींचे जमीन को, इसका सुरमयी घाट किनारा है दोस्तोंl शोभे मुकुट है भाल पे उत्तर हिमाल … Read more

माता के चरण तले

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** माता के चरण तले,सारे सुख फ़ूले-फले, श्रद्धावन्त ले के चले,असीम दुलार को। पग में ही चारों धाम,देख प्रभु प्रात-शाम, बिगड़ा बनेगा काम,हर दिन बार को। सेवा का मिलेगा फल,आयु,विद्या,यश,बल, माँ की कृपा से हो भल,भूल न ये सार को। जग में उतार दिया,दुनिया का प्यार दिया, सारा सुख वार … Read more

हमारा तुम्हारा जभी सामना हो

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** (रचनाशिल्प:१२२ १२२ १२२ १२२) हमारा तुम्हारा जभी सामना हो, बढ़े प्यार दिल में,निरंतर घना हो। सबेरे उठें हम,सुनें बात दिल की, रहे जग सुखी नित,यही प्रार्थना हो। जिधर आँख डालें,सुमन बस खिला हो, चमन हर दिशा में,महक से सना हो। हसीं चांदनी हो,निशा भी जवां हो, कटे प्यार में … Read more

नजर का वार

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** नजर का वार दिल पर कर गया है। नयन की मार से वह मर गया है। जिसे देखा नहीं हमने नजर भर, उसी से नैन मेरा लड़ गया है। दगा जिसने दिया है प्यार को ही, समझ लो प्यार से जी भर गया है। भयानक आंधियों को देखते ही, … Read more

बहार आते चमन हँसेगा

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** (रचना शिल्प: १२१ १२१ १२१ २२) बहार आते चमन हँसेगा, कली-कली से सुमन खिलेगाl चढ़ा क्षितिज पर लिए चमक जो, भरी दुपहरी भुवन दहेगाl जला दिया जो जनक दुलारी, उसे पिता कब सहन करेगाl करे पढ़ाई लगन लगाकर, उसे समझ लो गगन चढ़ेगाl अगर ये जिह्वा रहे न वश … Read more

सहज बुनियाद हिलती है

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** (रचना शिल्प:१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) कठिन श्रम से सफलता शीघ्र सबको हाथ लगती है, लगाओ जोर दम भरके,सहज बुनियाद हिलती है। कमाओ लाख धन चाहे,महल मोटर बनाओ तुम, न दे ये काम, जीवन की कभी जब शाम ढलती है। निकट जब बाल बच्चे हों,मजा तब नौकरी में है, अगर … Read more

नेता घूमे गाँव-गाँव

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** देखो आया है चुनाव,नेता घूमे गाँव-गाँव, न देखे वो धूप-छाँव,वोट की ही चाह में। होंठों पर है मुस्कान,खींचे सबका वो ध्यान, ले के वादे की दुकान,चलता है राह में। जो न सपने में देखा,वो मुहल्ला का भी लेखा, रखता है देखो नेता,अपनी निगाह में। जीतकर जो भी जाता,नित खीर-पूड़ी … Read more

हँसाती रही जिंदगी

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** किसी को हँसाती रही जिंदगीl किसी को रुलाती रही जिंदगीl भरा जख्म इक फिर मिला दूसरा, सतत यूँ सताती रही जिंदगीl नई किस्म की रोज देकर दवा, मुझे तो पिलाती रही जिंदगीl उसे तो कहो भाग्यशाली बड़ा, जिन्हें बस हँसाती रही जिंदगीl कटे दूब सा फिर उगे शीघ्र ही, … Read more

जवां हो प्यार नित अपना

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** चलो खेलो पिया होली,बना लो रंग पानी का, लगा दो रंग गालों पर,मजा ले लो जवानी काl महक फैली हुई चहुँदिस,यहाँ मधुमास का देखो, हमें मदहोश करता है,असर माधव रवानी काl नहीं बाकी रहे कोई,तो हमारी देह का कोना, रँगों ऐसे पिया हौले,मजा ले अंग रानी काl रँगे तुम … Read more

रंग ले के आयी होली

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** रंग ले के आयी होली,अँखियों से मारे गोली। गोरियों की भींगे चोली,रंग की फुहार में। जिसका भी देखो गाल,रंग से रँगा है लाल। टोली में जवान बाल,पागल है प्यार में। गमक हवाएँ उठी,महक फिजाएँ उठी। दिल में वफ़ाएं उठी,बसंत बहार में। मन ने उड़ान भरी,आफत में जान पड़ी। सबने … Read more