कलियुग की महाभारत

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. सुनो मित्र! कृष्ण हमारे, घोर कलियुग आ गया… द्वापर युग ने फिर एक बार, कलियुग में जनम लिया। देवकी ने दिया कंस को जन्म, पद्मावती ने कृष्ण को पा लिया… मथुरा वृंदावन में तब्दील है, द्वारिका में अनर्गल गिर गया कुंती के सौ पुत्र बने कुटिल, पाकर … Read more

राखी की सौंधी सुगंध

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** मेरी प्यारी बहना एक ऐसी राखी जरुर ले आना, बचपन की यादों की सौंधी सुगंध मुझको तू दे जानाl राखी का उत्साह देखा था मैंने सुबह उठकर जल्दी माँ से, तोतले बोल रूपए माँगे थे तूने याद है आज भी मुझे, राखी न दे पाई बेबस माँ… सफ़ेद धागे को कुमकुम … Read more

अनमोल हीरा ‘मुंशी प्रेमचंद’

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** शारदे की वीणा से, झंकृत हुई होगी कभी धरा शब्द थे आसमाँ में बिखरे, न था कोई सहारा सोए समाज को जगाने, और कलम के बहाने शब्दों को मिला था, स्वररूपी अनमोल एक हीरा…। ‘कोहिनूर’ का नूर सिर्फ महल की शान है, यह हीरा देखो यारों हिंद-हिंदी के मुकुट का मान … Read more

मित्र जौहरी

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** मित्र! शब्द को जब भी सुनता हूँ मैं, अक्सर कई मुस्कराती तस्वीरें सरसरी से मानस पटल पर एक-एक कर उभर जाती हैं, किसे अपना करीब कहूँ या सिर्फ नाम का न जाने कितने ही सवाल पैदा कर जाती हैं। बचपन से लेकर आज तक, कदम से कदम मिलें कईं और छूटे … Read more