अबकी बार सावधानियां अधिक

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** लो आ गया अब ‘कोरोना-२’…! या उत्तर कोरोना…! जिसमें न कोई लक्षण है, जिसकी न कोई पहचान। जो बिना सावचेत किए, कर रहा है हमला। ये सोच लो, कि अबकी बार सावधानियां अधिक, है जिम्मेदारियां ज्यादा क़्योंकि अदृश्य है दुश्मन, अदृश्य है हमला। बस एक ही दवा, बस एक … Read more

..पर ‘कोरोना’ को भगाएंगे

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** मैं भारत हूँ,तुम भारत हो, हम भारत हैं,सब भारत हो। मैं बचूंगा,तुम बचोगे, हम बचेंगे,सब बचोगे। सब बचेंगे,देश बचेगा, भारत का परिवेश बचेगा। त्यागी तपस्वी संत हैं हम, जीवन आदि अंत हैं हम। शील शक्ति शौर्य हैं हम ही, सत्य अहिंसा धैर्य हैं हम ही। रोकेंगे खुद को इक्कीस … Read more

…क्योंकि,अपनी लड़ाई मांस-लहू से नहीं

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** इंसान के चरित्र में यह खूबी हमेशा ही रही है कि,वह दूसरों के कार्य की अक्सर आलोचना करता रहता है,उनकी ओर उंगली करता रहता है,परंतु यह नहीं देख पाता है कि बाकी की उंगलियां स्वयं की ओर इशारा करती है। यह तो इंसान की प्रकृति है। वह दूसरों से … Read more

मेरा भीम महान

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** जगत में छाया रे,मेरा भीम महान, हँसते-हँसते कुर्बान हुए हैं,ये भारत की शान। मान दिया,सम्मान इसी ने,जीने की राह दिखाई, तोड़ दिए बन्धन वो पुराने शिक्षा की अलख जगाई। पिछड़ों का उद्धार किया है, भारत को संविधान दिया है। तू जग की पहचान, मेरा भीम महान। आन-बान और शान हमारी,तू … Read more

सबला नारी

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… एतबार नहीं है आज,मुझे किसी भी शख्स पर, बैठा हो चाहे वो,किसी भी ताजो-तख्त पर। मैं नारी हूँ नारी ही,बस रहना चाहूंगी, शील-शक्ति-सौंदर्य का,गहना ही चाहूंगी। अबला थी मैं अबला,आज सबला बन गई, तभी तो हर मानव से,आज मेरी ठन गई। जो चाहा है … Read more

ओले

बुद्धिप्रकाश महावर `मन` मलारना (राजस्थान) **************************************************** ओले-ओले सब करत,ओ ले कहत न कोय। ओ ले,ओ ले जो कहे,वो मन अपना होयll केश भया पानी नहीं,पानी भया न केश। सिर मुंडा ओले गिरे,बदला सिर का भेषll खेती कर कृषक भया,हरियाली चंहुऔरl फसल पकी ओले पड़े,दुर्भाग्य का दौरll हरी-हरी खेती भयी,ओले रजत सुहाय। सब-कुछ अब चौपट हुआ,हाथ … Read more