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..पर ‘कोरोना’ को भगाएंगे

बुद्धिप्रकाश महावर मन
मलारना (राजस्थान)

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मैं भारत हूँ,तुम भारत हो,
हम भारत हैं,सब भारत हो।

मैं बचूंगा,तुम बचोगे,
हम बचेंगे,सब बचोगे।

सब बचेंगे,देश बचेगा,
भारत का परिवेश बचेगा।

त्यागी तपस्वी संत हैं हम,
जीवन आदि अंत हैं हम।

शील शक्ति शौर्य हैं हम ही,
सत्य अहिंसा धैर्य हैं हम ही।

रोकेंगे खुद को इक्कीस दिन,
घर तो क्या आहार के बिन।

चौदह साल वन में बिताए,
घास की रोटी भी हम खाए।

वर्ष भर तप भी करते हम,
छह माह पेट न भरते हम।

समझेंगे कि नवरात्रा आए,
नौ नहीं इक्कीस कहलाए।

तीस दिवस किए रमजान,
इक्कीस के ही जिन्हें मान।

बुद्ध के उपदेश भी पाए,
यीशु के चालीस निभाए।

फिर कहां कठिनाई है,
संकट की घड़ी जो आई है।

एक थे,एक हैं,एक रहेंगे,
भारत माँ की जय कहेंगे।

चटनी लगाकर,सूखी खाकर,
जिएंगे पानी ही पिलाकर।

भूख हो या प्यास हो,
जहां जीने की आस हो।

हम हर हद गुजर जाएंगे,
पर ‘कोरोना’ को भगाएंगे॥

परिचय-बुद्धिप्रकाश महावर की जन्म तिथि ३ जुलाई १९७६ है। आपका वर्तमान निवास जिला दौसा(राजस्थान) के ग्राम मलारना में है। लेखन में साहित्यिक उपनाम ‘मन’ लिखते हैं,जबकि एक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ने आपको ‘तोषमणि’ नाम से अलंकृत किया है। एम.ए.(हिंदी) तथा बी.एड. शिक्षित होकर आप अध्यापक (दौसा) हैं। सामाज़िक क्षेत्र में-सामाजिक सुधार कार्यों,बेटी बचाओ जैसे काम में सक्रिय हैं। आप लेखन विधा में कविता,ग़ज़ल,कहानी,संस्मरण,लघुकथा,गीत , नज्म तथा बाल गीत आदि लिखते हैं। ‘हौंसलों के पंखों से'(काव्य संग्रह)व ‘कनिका’ (कहानी संग्रह) किताब आपके नाम से आ चुकी है। सम्मान में श्री महावर को बालमुकुंद गुप्त साहित्यिक सम्मान-२०१७,राष्ट्रीय कवि चौपाल साहित्यिक सम्मान-२०१७,काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान(२०१८), साहित्यश्री सम्मान-२०१८,मगसम-शतक वीर सम्मान (दिल्ली-२०१८),आँचलिक भाषा सेतु सम्मान-२०१८,राष्ट्रीय काव्य स्तम्भ सम्मान- २०१८,दौसा जिला गौरव सम्मान-२०१८ सहित राष्ट्रप्रेमी सम्मान (उ.प्र.-२०२०)आदि करीब ६० सम्मान मिले हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक एवं राष्ट्रीय जागृति,पीड़ितों का उद्धार,आत्म खुशी एवं व्यक्तिगत पहचान स्थापित करना है। साझा काव्य संकलन में आपके खाते में-नई उड़ान,नया आसमान, यादें,काव्य सौरभ तथा काव्य चेतना है। कई पुस्तकों,पत्र-पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में भी आपकी कविताएँ प्रकाशित हो रही हैं।

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