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ओले

बुद्धिप्रकाश महावर `मन`

मलारना (राजस्थान)

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ओले-ओले सब करत,ओ ले कहत न कोय।
ओ ले,ओ ले जो कहे,वो मन अपना होयll

केश भया पानी नहीं,पानी भया न केश।
सिर मुंडा ओले गिरे,बदला सिर का भेषll

खेती कर कृषक भया,हरियाली चंहुऔरl
फसल पकी ओले पड़े,दुर्भाग्य का दौरll

हरी-हरी खेती भयी,ओले रजत सुहाय।
सब-कुछ अब चौपट हुआ,हाथ सिर पर भाईll

ओले गिरे शीत ऋतु,फैली ठंडी वात।
कप-कप छूटी धूजणी,निद्रा न सारी रातll

ओला मोती एक-सा,किरण पड़ी चमकाय।
ओला क्षण भंगुर हुआ,मोती चमक सदायll

ओले गिरे जमीन पर,ओले नीर समान।
सब माटी मिल जाएगा,पर हित कर लो कामll

बाल रहा ना एक भी,ऐसी लगी है घात।
गंजे तेरे राज में,ओलों की बरसातll

परिचय-बुद्धिप्रकाश महावर की जन्म तिथि ३ जुलाई १९७६ है। आपका वर्तमान निवास जिला दौसा(राजस्थान) के ग्राम मलारना में है। लेखन में साहित्यिक उपनाम-मन लिखते हैं।हालांकि, एक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ने आपको `तोषमणि` साहित्यिक उप नाम से अलंकृत किया है। एम.ए.(हिंदी) तथा बी.एड. शिक्षित होकर आप अध्यापक (दौसा) हैं। सामाज़िक क्षेत्र में-सामाजिक सुधार कार्यों,बेटी बचाओ जैसे काम में सक्रिय हैं। आप लेखन विधा में कविता,कहानी,संस्मरण,लघुकथा,ग़ज़ल, गीत,नज्म तथा बाल गीत आदि लिखते हैं। ‘हौंसलों के पंखों से'(काव्य संग्रह) तथा ‘कनिका'( कहानी संग्रह) किताब आपके नाम से आ चुकी है। सम्मान में श्री महावर को बाल मुकुंद गुप्त साहित्यिक सम्मान -२०१७,राष्ट्रीय कवि चौपाल साहित्यिक सम्मान-२१०७ तथा दौसा जिला गौरव सम्मान-२०१८ मिला हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक एवं राष्ट्रीय जागृति,पीड़ितों का उद्धार, आत्मखुशी और व्यक्तिगत पहचान स्थापित करना है।

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