गाँव जाना है
देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार) ************************************************************* लाचार पथिक सामने अनन्त दूरी है, जीऊँ कैसे,जीना भी तो मजबूरी है। वक्त की गर्दिशों की गहन धूल, अन्जान अजनबी-सा जीवन मूल। रोग क्या मारेगा भूख के मारे हैं, केवल कल्पना के काल के सहारे हैं। क्षुधा की अग्नि में सब भस्म है, जीवन तो अब केवल रस्म है। … Read more