धन्य तुम हो हे जन

दिप्तेश तिवारी दिप रेवा (मध्यप्रदेश) **************************************************** धन्य तुम हो भारतवासी,माटी सदा ऋणी रहेगी, संघर्ष समय में सहयोग तुम्हारा,सदा गुणी रहेगी। घर में रह कर तुमने,निज कर्तव्यों का मान रखा, धन्यवाद तुम हो हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा। माना सूरज डूब रहा,अँधियारा हम पे हावी है, लेकिन हिम्मत हो तो,एक चींटी हाथी पे भारी है। विकसित … Read more

खुद को जलना है

दिप्तेश तिवारी दिप रेवा (मध्यप्रदेश) **************************************************** सारी उम्र बाती का लड़ना रहा उजियारे से, सायद डरती थी वो पागल उस अंधियारे से। मैंने कहा-तू तो सूरज का अभिमानी टीका है, अग्नि कुंड का अंगार दिखाने वाली सीता है। रणांगन में दीप ज्वलित केशव की गीता है, सूर्य नही तो चिंगारी बन जो खुद में जीता है। … Read more

इस देश न आना लाडो

दिप्तेश तिवारी दिप रेवा (मध्यप्रदेश) **************************************************** नव पल्लवित कोमल कली अभी खिली नहीं थी क्यारी में, उजास अभी हुआ नहीं था,कुचक्र रचा अंधियारी ने। माली बस कर ममता से रोप रहा था पौधों को, तभी न जाने किस दानव ने रौंद दिया घरौंदों को। खुशियों से भरी हुई थी संसार समाया देखूंगी, खेल-कूद मस्ती और सतरंगी … Read more

समंदर कभी रोया नहीं करते

दिप्तेश तिवारी दिप रेवा (मध्यप्रदेश) **************************************************** काँटे हों हजारों मंजिलों की राह पर,यूँ घबराया नहीं करते, और पुरुष जो वीर होते हैं,यूँ मुश्किलों में हारा नही करते। न तेरे-न मेरे,यूँ वक्त तो नही किसी के हाथ में, जब मिले मौका तो लक्ष्य भेदो,यूँ मौके बार-बार नहीं मिलते।   कर्मयोगी कर्म से साधता है पर्वतों,चट्टानों को, हाथ … Read more