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समंदर कभी रोया नहीं करते

दिप्तेश तिवारी दिप
रेवा (मध्यप्रदेश)

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काँटे हों हजारों मंजिलों की राह पर,यूँ घबराया नहीं करते,
और पुरुष जो वीर होते हैं,यूँ मुश्किलों में हारा नही करते।
न तेरे-न मेरे,यूँ वक्त तो नही किसी के हाथ में,
जब मिले मौका तो लक्ष्य भेदो,यूँ मौके बार-बार नहीं मिलते।

 

कर्मयोगी कर्म से साधता है पर्वतों,चट्टानों को,
हाथ की इन लकीरों के भरोसे बैठा न करते।
और सफल होकर भी सम्मान सबका करो,
क्योंकि,जुगनू कभी सूरज से अकड़ा नहीं करते।
यूँ तो तुमसे बड़े,काबिल कोने में खड़े रहते हैं,
क्योंकि वो कभी छोटों से प्रतिस्पर्धा नही करते।

 

गर दृढ़ हो गया लक्ष्य तो हाथ से गांडीव छोड़ा नहीं करते,
और चल दिये जिस राह में,फिर उसे मोड़ा नही करते।
यूँ तो माशूका से इश्क करता है जमाना,
लेकिन पढ़ते समय होशियार दिल किसी से लगाया नहीं करते।

 

करोगे कुछ नया तो गिरोगे जरुर,
लेकिन हार माना नही करते।
गरजते हैं जो घुमड़-घुमड़ मेघ,
वो अक्सर बरसा नहीं करते।
और मेहनत-ए-बे-दाम में जियो जिंदगी,
क्योंकि,समंदर कभी रोया नही करते॥

परिचय- दिप्तेश तिवारी का साहित्यिक उपनाम `दिप` हैl आपकी जन्म तिथि १७ जून २००० हैl वर्तमान में आपका निवास जिला रेवा (म.प्र.)स्थित गोलंबर छत्रपति नगर में है। आप अभी अध्ययनरत हैंl लेखन में आपको कविता तथा गीत लिखने का शौक है। ब्लॉग भी लिखने में सक्रिय श्री तिवारी की विशेष उपलब्धि कम समय में ही ऑनलाइन कवि सम्मेलन में सम्मान-पत्र मिलना है।

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