तुम मेरे प्रिय

दिव्या त्रिवेदीपूर्णिया (बिहार)******************************* काव्य संग्रह हम और तुम से………. मेरे हृदय तमस को हरने वाले,तुम चन्द्र छवि के समान प्रिय।मैं नदिया-सी तुममें खो जाऊं,तुम हो सागर का विस्तार प्रिय। मैं धरा-सी इत-उत डोल रही,तेरी बाँहें हैं नील आकाश प्रिय।मैं कली-कली मुस्काती फिरुं,तुम बनो प्रसून-पराग प्रिय। मैं हिना-सी पिस-पिस जाऊंगी,तुम बनो जो मेरा रंग लाल प्रिय।मैं … Read more