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तुम मेरे प्रिय

दिव्या त्रिवेदी
पूर्णिया (बिहार)
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काव्य संग्रह हम और तुम से……….

मेरे हृदय तमस को हरने वाले,
तुम चन्द्र छवि के समान प्रिय।
मैं नदिया-सी तुममें खो जाऊं,
तुम हो सागर का विस्तार प्रिय।

मैं धरा-सी इत-उत डोल रही,
तेरी बाँहें हैं नील आकाश प्रिय।
मैं कली-कली मुस्काती फिरुं,
तुम बनो प्रसून-पराग प्रिय।

मैं हिना-सी पिस-पिस जाऊंगी,
तुम बनो जो मेरा रंग लाल प्रिय।
मैं मनोरम उषा की लालिमा,
तुम भोर उदित भानू-मान प्रिय।

मैं कोकिल का मधुर गान हूँ,
तुम कुंजन बन सब्ज बाग प्रिय।
जो मेरा मोल लगा पाए,
तुम हो जाओ वही दाम प्रिय।

मैं जीवन के आखिरी क्षण-सी,
तुम आशा की एक साँस प्रिय॥

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