मन तरंग
पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़) ****************************************************************************** मन तंरग यूँ खोने लगा, क्यों तुम्हें ढूंढने लगा आँखों में ना नींद है, ना नीद में आँखें कुछ नये सपने बुनने लगा। मन तरंग… बिखरी साँसें बिखरी जुल्फें, क्यों मन मेरा उलझने लगा हर पल राहों में तेरा चेहरा, मुझे दिखने लगा। मन तरंग… कह रही है सारी फिजाएं, कहां … Read more