मन तरंग

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** मन तंरग यूँ खोने लगा, क्यों तुम्हें ढूंढने लगा आँखों में ना नींद है, ना नीद में आँखें कुछ नये सपने बुनने लगा। मन तरंग… बिखरी साँसें बिखरी जुल्फें, क्यों मन मेरा उलझने लगा हर पल राहों में तेरा चेहरा, मुझे दिखने लगा। मन तरंग… कह रही है सारी फिजाएं, कहां … Read more

प्यार भरा खत

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** प्यार भरा तेरा, खत जो मिला झूम उठी रे सजन, बादल के आने से, जैसे नाचें मोर मगन। ओरे सजन… ओरे सजन… तेरे ख़त का है ये असर… प्यार भरा… खत में जो तुमने, लिखी प्यारी बातें सोच-सोच मैं शरमाऊं, तुम जानो या मैं जानूं कैसे सबको बतलाऊं, झुम रही है … Read more

हमको गढ़ती है माँ

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… ना शब्द है ना कोई बात जो माँ के लिए लिख पाऊं, उसके चरणों में मैं नित-नित शीश झुकाऊं, जग जननी है माँ हमारी भाग्य विधाता माँ। गीली माटी की तरह वो हमको गढ़ती है, संस्कार की रौशनी वो हममें भरती है, कौन करेगा ये सब माँ … Read more

माँ के उपजे नाम से

प्रभात कुमार दुबे(प्रबुद्ध कश्यप) देवघर(झारखण्ड) *********************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ के उपजे नाम से, माँ को व्यथा सुनाय। जो माँ के सुमरे कहीं, दु:ख उसके सब जाय॥ मनवाँ रोये है कहीं, सुन ले माँ दु:ख मोय। अंदर से सुमिरन करो, तुम्हरे बिना न कोय॥ जग रोने पर हँस रहा, सुमिरै माँ के नाम। प्रभु … Read more

अंधेरा क्यूँ है

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** किया है रौशनी फिर भी,अंधेरा क्यूँ है। घिरा है मन उदासियों से,परेशां क्यूँ है। किया है… जो गुज़र गया है,उसे भूलाने की आदत है, फिर भी सुबह का,सबेरा सोया क्यूँ है। किया है रौशनी… आँखों के आंसू,कभी सूखे ही नहीं, फिर इतना गहरा कोहरा क्यूँ है। किया है रौशनी… सब कुछ … Read more

प्रीत की पुकार से

प्रभात कुमार दुबे(प्रबुद्ध कश्यप) देवघर(झारखण्ड) *********************************************** प्रीत की पुकार सेl रीत की गुहार सेl हो नहीं अधीर-सा। ठोक ताल बीर-सा। है धरा पुकारती। है तुझे गुहारती। सत्य पे डटे रहो। क्षेम पे गहे रहो। कृष्ण-सा कहो वही। पार्थ-सा लड़ो कहीं। सोभती भुजंग वो। रोक पाश जंग जो। धीर-सा रहो कहीं। चीर-सा फटो नहीं। रीत प्रेमजीत … Read more

पुण्य भूमि मेरी धरा

सुषमा दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… मेरे देश की सीमाएं रहें महफूज चारों ओर से, हर एक दुआ में समाई है यही शुभ भावना दिग-दिगंत तक कीर्ति गाथा के मधुर स्वर, देश मेरा हो अमर बस है यही मनोकामना। मिट्टी का कण-कण बने स्वर्ण रजत-सा, जर्रा-जर्रा महके मेरी मातृभूमि का जैसे चंदन … Read more

प्रकृति,पृथ्वी और प्रगति में संतुलन आवश्यक

सुश्री नमिता दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** मनुष्य विकास के पथ पर बड़ी तेजी से अग्रसर है,उसने समय के साथ स्वयं के लिए सुख के सभी साधन एकत्र कर लिए हैं। बढ़ते विकास तथा समय के साथ आज हमारी असंतोष की प्रवृत्ति भी बढ़ती जा रही है। प्रकृति में ऊर्जा संसाधन सीमित हैं, अतः यह आवश्यक हो … Read more

फर्क

सुषमा दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** बेटी के साथ हुई ज्यादती की रिपोर्ट लिखवाने पहुंचे पिता-पुत्री से थानेदार ने उल-जुलूल प्रश्न करना शुरू कर दिए। लड़की का पिता ने कई सवालों के जवाब में सिर झुका लिया। फिर शुरू हुआ प्रवचन का सिलसिला, “अरे आजकल की लड़कियां मौज- मस्ती के लिए लड़कों से दोस्ती करती हैं,जब बात … Read more

शपथ

सुश्री नमिता दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी निलेश के स्कूल में पृथ्वी दिवस मनाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही थी। उनके स्कूल में पिछले वर्ष एक नाटिका का मंचन हुआ था,जिसमें निलेश को वृक्ष बनाया गया था,किन्तु विकास के ठेकेदार लोभवश उस वृक्ष को बड़ी ही बेरहमी से काट … Read more