गरीबी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- गरीबी ने हाल कुछ ऐसा बनाया, एक वक्त का खाना भी हाथ नहीं आयाl मांगकर के लाया था रोटी के टुकड़े, एक आवारा कुत्ता वो ले गया झपट केl भूखे को रातभर नींद भी न आई, हे ईश्वर ये गरीबी हमारे हिस्से ही क्यों आई ? कचरे से चुन-चुनकर … Read more

गर्मी में…

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- झुलस रहे हैं पौधे सारे झुलस रही हैं सभी लताएँ, सारे तन को जला रही हैं दक्षिण की ये गर्म हवाएँ, जल से अपनी प्यास बुझा ले… आ राही थोड़ा सुस्ता लेl जेष्ठ महीना तपती धूप सूख गये हैं सारे कूप, बालू रेत में चला ना जाए कैसे अपनी … Read more

काश

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- काश! मेरी माँ होती आज जिन्दा, तो माँ की गोद में सोता ये बन्दाl माँ बचपन की तरह ही दुलारती, आँचल में बैठा के खाना खिलातीl भले ही मैं बहुत खूबसरत नहीं, मगर टीका लगाना भूलती नहींl काश! फिर मुझे लल्ला कह पुकारती, बालों में तेल लगा कंघे से … Read more

वीरों की धरती हिन्दुस्तान

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- वतन की शान है तो मेरी भी शान है, वतन की आन रखना मेरा ईमान है। वतन ही रब है मेरा ये मेरी जान है, इस दुनिया में सिरमौर मेरा हिन्दुस्तान है। वतन के वास्ते ही हम जियेंगे मरेंगे, वतन का सिर कभी भी नीचा न करेंगें। खाते हैं … Read more

देश का सपूत

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- वीरों की धरती है भारत जिस पर मैंने जन्म लिया, माँ की लाज बचाऊँगा जिसकी छाती से दूध पियाl मेरे रहते बुरी नजर से माँ को देख न पायेगा, ये दुःसाहस जीवनभर को उसको अंध बनायेगाl भारत माँ का भाल हमेशा ऊँचा रहता आया है, पैदा नहीं हुआ है … Read more

हमारा चौकीदार

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- आज देश की गली-गली में गूँजा एक ही नारा है, देश को जो चोटी पर रक्खे वो सरदार हमारा हैl कुछ ही वर्षों में भारत में नयी रोशनी ले आया, जहाँ-जहाँ पिछड़ा था भारत उसको आगे पहुँचायाl सर्वसम्मति से जनता ने तेरा नाम पुकारा है, देश को चोटी पर… … Read more

भारतीय सभ्यता और संस्कृति

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- चैत्र प्रतिप्रदा आने की ही इंतजारी है, सांस्कृतिक त्योहार अब मनाने की बारी है। उपेक्षा मत किया कीजिये इसकी, विरासतों को भूलना भयंकर भूल है। उलझे हैं लोग अब भी अंग्रेजी साल में, भारतीय हृदय में चुभता है हर हाल में। डूबे हैं पाश्चात्य सभ्यता के रंग में सब, … Read more

श्याम की दीवानी हुई

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- (रचना शिल्प: वार्णिक छंद ८८८७-३१) श्याम की दीवानी हुई, प्रेम की कहानी हुई, पैरों में घुँघरू बाँध, नाचती ही जाये है। कान्हा जाये मिल गर, फिर नहीं कोई डर, मेवाड़ की राणी मीरा, जोगन हो जाये है। बाँसुरी की धुन पे वो, बावरी-सी झूम उठे, हाथ खड़ताल लिये, साँवरा … Read more

२०५० की होली

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** एक दिन स्कूल का प्रोजेक्ट करते-करते, बेटे ने पूछा- “पापा ये रंग क्या होते हैं ? कहाँ मिलते हैं ?” मैं जो वाट्सएप पर, अपनी ठीक-ठाक-सी फोटो को रंग-बिरंगी बनाकर स्टेटस पर डालने में व्यस्त था, सो कह दिया- “गूगल से पूछो,बेटा।” बेटे ने गूगल पर खोज करते-करते मुझसे फिर … Read more

मस्ती फागुन की

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- मौसम खिल उठा बहारों से तन-मन में खुशियाँ छायी है, पुरवईया चलने लगी, मस्ती फागुन की छायी हैl मस्तों की टोली निकल पड़ी हर दिल मस्ती से झूम उठा, हाथों में रंग-गुलाल लिये ननन्द,देवर,भौजाई हैl अम्बर में बिखरे रंग कई ये आसमान भी लाल हुआ, और इन्द्रधनुष जैसी नभ … Read more