हर्ष भरा यह आज सफ़र है
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** जीवन घर तक,पर सुखकर है। कितना प्यारा लगता दर है। अब विराम में भी गति लगती, हर्ष भरा यह आज सफ़र है। जीवन लगता एक ग़ज़ल-सा, खुशियों से लबरेज बहर है। शांत रहो,खामोश रहो सब, अंधकार के बाद सहर है। ऊंचा उड़ना नहीं रुकेगा, कायम मेरा हर इक पर … Read more