नजर का वार

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** नजर का वार दिल पर कर गया है। नयन की मार से वह मर गया है। जिसे देखा नहीं हमने नजर भर, उसी से…

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महापर्व-मतदान️ करें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** क्या आपने मतदान किया ? मित्रों,हाँ हमने मतदान किया, मत के न केवल अधिकारी हम वरन् कर्तव्यनिष्ठ जाग्त सशक्त, सतर्क सदा तत्पर प्रबुद्ध…

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भ्रूण हत्या बड़ा अपराध

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** भ्रूण हत्या है बड़ा अपराध इसे रोकें हम और आप, लड़का-लड़की में अंतर नहीं फिर क्यों होते है इतने अपराध। काजल नहीं सुंदरता का लो कालिख…

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बहार आते चमन हँसेगा

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** (रचना शिल्प: १२१ १२१ १२१ २२) बहार आते चमन हँसेगा, कली-कली से सुमन खिलेगाl चढ़ा क्षितिज पर लिए चमक जो, भरी दुपहरी भुवन दहेगाl…

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रे कपूत!अब भी संभल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** गाली दे दे एक को,तुम बना दिये स्टार। जनता अब बुद्धू नहीं,जीते चौकीदारll गाली दे थकते नहीं,बहुसंख्यक को आज। लोकतंत्र है शर्मसार,बन वोट…

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प्रीत की पुकार से

प्रभात कुमार दुबे(प्रबुद्ध कश्यप) देवघर(झारखण्ड) *********************************************** प्रीत की पुकार सेl रीत की गुहार सेl हो नहीं अधीर-सा। ठोक ताल बीर-सा। है धरा पुकारती। है तुझे गुहारती। सत्य पे डटे रहो।…

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भटकते युवा सोचो बारम्बार

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** ना करो तुम इतना प्यार कष्ट मिलेगा बारम्बार, झूठ-फरेब का सपना आएगा- हो जाओगे बर्बाद। लक्ष्य तुम्हारा मिट जाएगा दुःख-संकट से घिर जाओगे, इस जहाँ में…

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भू तू बड़ी महान

नवीन कुमार भट्ट नीर मझगवाँ(मध्यप्रदेश)  ************************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… पावन धरती मात को,है वंदन बारम्बार। गौरव की गाथा लिखी,गूँजे जय जयकारll धरती माँ के गोद से,निकली सीता मात। तेरी…

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बेजान पत्थर

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** ना मन्दिरों में महफूज है, ना मस्जिदों में सलामत है। कलियों के खिलने पर अब, बागों-बगीचों में भी बगावत है। अब तलक यकीं था…

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ममतामयी ऐसी मेरी वसुंधरा

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… जिसका आँचल है रत्नों से भरा, ममतामयी ऐसी मेरी वसुंधरा। ऋण तेरा कैसे चुकायेंगे हम, सौंदर्य वरदान है तुमने दिया।…

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