संक्रान्ति-एक सीख
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. पुत्र से पिता मिले,शनि से सूर्य देवताद्वेष द्वन्द मिट गये,विश्व सकल देखता।सूर्य बैर भूल कर,शनि के नव घर गयेसारे ग्रह छोड़-छाड़,धनु से मकर गये।शांति की प्रतीक-सी,आ गई संक्रांति।एक सीख दे रही,रक्खो रे शांति॥ रिश्ते निभते हैं सिर्फ,मानस के मेल सेग्रह उपग्रह सिखा रहे,आपस के खेल से।दुनिया है प्रेम पूर्ण,प्रेम … Read more