वासन्ती रँग
महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़ ************************************************** हुई भोर अब देखो प्यारे,पूर्व दिशा लाली छाई, लगे चहकने पक्षी सारे,गौ माता भी रंभाई। कमल ताल में खिले हुए हैं,फूलों ने ली अँगड़ाई, मस्त गगन में भौंरा झूमे,तितली रानी भी आई। सरसों फूले पीले-पीले,खेतों में अब लहराए, कूक उठी है कोयल रानी,बासन्ती जबसे आएl है पलाश भी … Read more