कुल पृष्ठ दर्शन : 266

जीवन इसका नाम

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’
पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़ 
**************************************************

जीवन को तुम जीना सीखो,किस्मत को मत कोस।
खुद बढ़ कर तुम आगे आओ,और दिलाओ जोश॥

सुख-दु:ख दोनों रहते जीवन,हिम्मत कभी न हार।
आगे आओ अपने दम पर,होगी जय जयकार॥

सिक्के के दो पहलू होते,सुख-दु:ख दोनों साथ।
कभी गमों के आँसू बहते,कभी खुशी हैं हाथ॥

राह कठिन पर आगे बढ़ जा,मंजिल मिले जरूर।
वापस कभी न होना साथी,होकर के मजबूर॥

अर्जुन जैसे लक्ष्य साध लो,बन जायेगा काम।
हार न मानो कभी राह में,जीवन इसका नाम॥

जीवन एक गणित है प्यारे,आड़े तिरछे खेल।
गुणा भाग से काम निकलता,होता है तब मेल॥

हँस कर के अब जीना सीखो,छोड़ो रहना मौन।
माटी का जीवन है प्यारे,यहाँ रहेगा कौन ?

परिचय–महेन्द्र देवांगन का लेखन जगत में ‘माटी’ उपनाम है। १९६९ में ६ अप्रैल को दुनिया में अवतरित हुए श्री देवांगन कार्यक्षेत्र में सहायक शिक्षक हैं। आपका बसेरा छत्तीसगढ़ राज्य के जिला कबीरधाम स्थित गोपीबंद पारा पंडरिया(कवर्धा) में है। आपकी शिक्षा-हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर सहित संस्कृत साहित्य तथा बी.टी.आई. है। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सहयोग से आपकी २ पुस्तक-‘पुरखा के इज्जत’ एवं ‘माटी के काया’ का प्रकाशन हो चुका है। साहित्यिक यात्रा देखें तो बचपन से ही गीत-कविता-कहानी पढ़ने, लिखने व सुनने में आपकी तीव्र रुचि रही है। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर कविता एवं लेख प्रकाशित होते रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कनाडा से प्रकाशित पत्रिका में भी कविता का प्रकाशन हुआ है। लेखन के लिए आपको छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा सम्मानित किया गया है तो अन्य संस्थाओं से राज्य स्तरीय ‘प्रतिभा सम्मान’, प्रशस्ति पत्र व सम्मान,महर्षि वाल्मिकी अलंकरण अवार्ड सहित ‘छत्तीसगढ़ के पागा’ से भी सम्मानित किया गया है।

Leave a Reply