दीवार

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* आँगन में दीवार देख कर सोच रही माँ खड़ी-खड़ी, रिश्तों में दरार पड़ गयी,आई है ये कैसी घड़ीl बचपन में संग खेला,तूने संग-संग की पढ़ाई, तू है मेरा प्यारा छोटा अव्वल आना भाई। लगता है अब टूट गई रिश्तों की नाजुक कड़ी, रिश्तों में दरार पड़ गयी,आई है ये कैसी … Read more

सुहानी शाम

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* शाम सुहानी आ गई,पंछी करते शोर। लौट रहे हैं नीड़ को,बाँध प्रीत की डोरll बैलों की घंटी बजे,जस वृन्दाबन धाम। ग्वालों की टोली लगे,संग श्याम बलरामll सतरंगी आभा लिये,बिखरे हो सिंदूर। अरुण किरण की लालिमा,देखो कुदरत नूरll शीतल मंद सुगंध पवन,और सुहानी शाम। बन जाऊँ मैं राधिका,तुम बन जाओ श्यामll … Read more

माँ दरश दिखा जाना…

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना। नवरात चले जाये,माँ तुम न कभी जानाll पलकों से तेरी मैंया मैं डगर बुहारुँगी, गंगाजल से अंबे मैं चरण पखारूँगी। माँ नव नव रुपों में तुम झलक दिखा जाना, नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना…ll मैंने द्वार सजाई है माँ … Read more

धर्मपत्नी

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मैं नारी ही धर्मपत्नी हूँ, मैं प्रियतम की संगिनी हूँ मैं साजन का प्यार हूँ, मैं ही घर-परिवार हूँl मैं सावन की फुहार हूँ, मैं ही बासंती बयार हूँ मैं दुल्हन बनकर आती हूँ, मैं दो कुल को महकाती हूँl मैं बाबुल को छोड़ आती हूँ, मैं माँ का आँगन … Read more

कान्हा तेरा शुक्रिया

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* जिंदगी में श्याम जी ने सब कुछ दिया, तेरा शुक्रिया कान्हा,तेरा शुक्रिया। बचपन में माँ गोद दिया, सर पे पिता का साया भाई-बहन का प्यार दिया, कैसी प्रभु तेरी माया। घर आँगन चौबारा श्याम जी क्या नहीं दिया। तेरा शुक्रिया कान्हा,तेरा शुक्रियाll ज्ञानभरा संसार दिया, गुरुवर चरण का भान तुम्हीं … Read more

मैं हूँ नारी

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मैं ही तो वह नारी हूँ, जो सिंदूर देशहित वारी हूँ। बेटे के माथे तिलक लगा, सीमा पर मैं विदा कराती हूँ। जब ओढ़ कफन तिरंगा आता, अश्रु आँचल में छुपाती हूँ। मैं शेरनी महतारी हूँ, हाँ मैं वही नारी हूँ…॥ मैं रिद्धि हूँ,मैं सिद्धी हूँ, मैं ही तो मात … Read more

अभिनंदन

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मेरे देश का वीर सिपाही, मेरे माथे का चंदन। ‘अभिनंदन’ का अभिनंदन, है शत-शत बार नमन। आने से महका गुलशन, झूम उठा गगन। अभिनंदन का है अभिनंदन, शत-शत बार नमन। है भारत का शेर, दहाड़ कर आया है। जुल्मों सितम के आगे, नहीं शीश झुकाया है। धन्य-धन्य हे वीर कहे, … Read more