पिता की महिमा

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. हर समस्या का होताहै उनके पास समाधान,पापा ही मेरी दुनिया है-पापा ही मेरी जान। अपने बच्चों की…

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गुलशन उजड़ गया

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** फूलों का बगीचा,कहलाता है गुलशनदेख कर आनंदित,होता है हमारा मन।कोरोना के प्रभाव से,सबका गुलशन उजड़ गयाअच्छे-अच्छों का,बजट बिगड़ गया।तुमने अच्छा नहीं किया,किसी के गुलशन में…

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जीवन का आधार ‘परिवार’

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… घर-परिवार है,हमारे जीवन का आधारइसके बिना-जिंदगी है बेकार। घर-परिवार से ही,हमें खुशी मिलती हैइसके सहारे जिंदगी-अच्छी चलती है। हर खुशी में हर…

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पुस्तक ज्ञान का दरिया

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… देखने में छोटीहोती है,पर इसमें होताज्ञान का भंडार है,इसके बिना शिक्षाकी कल्पना करना,बेकार है। पुस्तकें ज्ञान प्राप्तिका जरिया है,इसमें बहता…

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खामोश दर्द

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** सहते हैं मर्द,अक्सरखामोश दर्द। जब दर्द अपनों से,मिलता है तोखामोशी से,सहना पड़ता हैसब-कुछ जानकर भी,चुप रहना पड़ता है। खामोशी भी,दर्द बयां करती हैजिसकी झलक साफ,चेहरे…

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फाल्गुन के रंग-जीवन संग

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… हिन्दू पंचाग का फाल्गुन,अंतिम है महीनाआनंद और उल्लास,से पूरित है यह महीना। सर्दी घटने लगती है,गर्मी बढ़ने लगती हैबसंत…

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बेवफाई

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** किसी को प्यार मेंधोखा देना,कहलाता है बेवफाईऔर धोखा देनेवाले को,कहते हैं हरजाई। जिनसे हमने की थीवफा की उम्मीद,उन्होंने की बेवफाईउनके जाने से हमारे,जीवन में आई…

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तुमसे बेहतर

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** माना तुमसे कमतर हैं,कहीं न कहीं हम बेहतर हैं। पहचान हमारी खतरे में,हम शब्दों के बुनकर हैं। वो जज़्बाती अव्वल नंबर है,हम तो जन्म से पत्थर…

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नदी है नारी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************* नारी में है नदी जैसा प्रवाह,नदी है नारीउसके हर कार्य में,दिखता है इसका प्रभाव। नदी अपने रास्ते में आने,वाली हर बाधा को निपटाती हैनारी भी…

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मुस्कान ढूँढता हूँ…

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** आँसूओं के ढेर में एक मीठी मुस्कान ढूँढता हूँ,या फिर आँसूओं की धार में कुछ अंगार ढूँढता हूँ।कोई तो जाने कि इस अनजाने से शहर में,मैं…

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