बरसो मेघा रे….
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखी है धरा- बरसो रे ओ मेघा… कर दो हरा। सूखे हैं ताल- कर दो हरियाली… भूखे हैं बाल। वन पुकारे- बढ़ता रेगिस्तान… जन हुँकारे। न तरसाओ- उमड़-घुमड़ के… बरस जाओ। तृषित तन- बरसो काले मेघा… हर्षित मन। परिचय–निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म … Read more