खेल भावना हो सही

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** खेल भावना हो सही,तभी मिलेगा मान। रौशन होगा नाम फिर,दुनिया हो हैरानll खेलो देश विदेश में,लहरे परचम आज। रहे सभी सदभावना,करें सभी फिर नाजll अपने लिए नहीं वरन,खेल देश सम्मान। गर्व करो तुम देशहित,खुद का होगा मानll कपट-द्वेष मन में नहीं,सबमें प्रेम समाय। यही खेल की भावना,जिससे सब … Read more

अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. शरणार्थी हैं देव सम,कर पूजा सत्कार। कभी द्वेष रखना नहीं,भाई सम हो प्यारll भोजन थाली अन्न हो,भूखे भटके लोग। इनकी करो सहायता,दूर करो तुम रोगll भाईचारा मन बसे,करो न इनको दूर। ये शरणार्थी हैं इसे,मदद करो भरपूरll लाचारी मजबूर का,देना तुम भी साथ। दुश्मन … Read more

गाँव का जीवन

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** गाँवों का जीवन भला,होता सुखमय यार। घर-घर मीठे बोल है,पावन शुद्ध विचार॥ नहीं किसी से दुश्मनी,रहते मिल-जुल लोग। शुद्ध हवा का द्वार है, होते सभी निरोग॥ सुन्दर-सुन्दर घर यहाँ,लिपे-पुते दीवार। स्वर्ग यहाँ सिमटे मिले,छोटा-सा संसार॥ बाग-बगीचा वाटिका,वन-उपवन गुलजार। कोयल कुहके डाल हैं,मैना की झंकार॥ अमराई की छाँव में,मिलता … Read more

मानसून मत कर अत्याचार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मानसून अब आ गिरो,मत कर अत्याचार। धरती देखो है फटी,कृपा करो इस बारll व्याकुल होते लोग हैं,जीव जन्तु बेहाल। गर्मी इतनी तेज है,धीमी सबकी चालll इन्द्रदेव नाराज क्यों,आओ बरसो आज। करते हैं आराधना,विनय सुनो महाराजll देख गरीब किसान हैं,करें प्रतीक्षा लोग। मानसून अब तो सुनो,हो जाये संजोगll नदी … Read more

दरकते रिश्ते

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** रिश्ते नाजुक डोर हैं,रखना इसे सम्हाल। कहीं टूट जाये नहीं,होना नहीं बेहाल॥ रिश्ते मुश्किल से जुड़े,बन्धन है अनमोल। इसे निभाना साथियों,स्वागत कर दिल खोल॥ बिकते रिश्ते हैं नहीं,यह तो है अहसास। दिल कॆ नाजुक तार हैं,होते हरदम पास॥ कभी छोड़ जाना नहीं,बीच डगर में साथ। कदम मिलाकर ही … Read more

हाथ

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** इसी हाथ से काम को,देते हैं अंजाम। हाथ नहीं कुछ भी नहीं,नहीं होत है काम॥ इन हाथों से गढ़ दिए,सुन्दर देख जहान। ताकत फिर भी है अभी,नहीं बिके ईमान॥ मन्दिर-मस्जिद सब गढ़े,महल अटारी ताल। सड़क बाँध पुल सब बने,देखो हाथ कमाल॥ दुनिया के हर काम में,रहता मेरा हाथ। … Read more

माँ

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ की ममता से बड़ा,नहीं मोल है आज। माता सम भगवान है,रखना इसकी लाजll जगजननी माँ रूप है,हम उनकी सन्तान। आओ जी सेवा करो,करो नहीं अपमानll रक्षा करना धर्म है,कभी नहीं हो पाप। बेटा चलो चुकाइए,कर्ज दूध का आपll माता है अधिकारिणी,बेटा देना प्यार। … Read more

सर्दी

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** सर्द भरा मौसम यहाँ,शीतल तन मन होय। आग भरोसे दिन कटे,रात बिताये सोय॥ सभी काँपते हैं यहाँ,सभी तापते आग। जलता हुआ अलाव है,मिल के गाते राग॥ शरद सुहानी है ऋतु,सुबह-शाम की धूप। लगते सुन्दर आसमां,मौसम सौम्य स्वरूप॥ सर्दी बड़ी सुहावनी,मन को भाती शीत। बैठ मजे लो उष्णता,गर्म चाय … Read more

बढ़ रही गर्मी,कट रहे पेड़

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** गर्मी देखो बढ़ रही,कटते जंगल पेड़। आओ पौधा रोप लो,बंजर धरती मेड़॥ मत काटो इंसान तुम,ये तो छायादार। गर्मी से रक्षा करे,पालन पोषण सार॥ जीव जगत इनसे जिए,इनसे है संसार। पेड़ लगा काटो नहीं,मत करना व्यापार॥ धरती का श्रृंगार है,पादप वृक्ष पहाड़। पर्यावरण बचाय लो,आव लगाव झाड़॥ सूरज … Read more

सिसकता किसान

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** गर्मी की इस मार में,रोते आज किसान। बिलख रहे हैं भूख में,धरती के भगवानll देखो हाहाकार है,सिसक रहे हैं लोग। धरती सूखी खेत है,घेर रहे हैं रोगll तपती धूप बढ़े यहाँ,कौन करे अब काम। खेतों में दर्रा फटे,बंजर हुए तमामll जीने को मजबूर है,सिसक रहे हैं आज। कर्ज … Read more