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हाथ

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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इसी हाथ से काम को,देते हैं अंजाम।
हाथ नहीं कुछ भी नहीं,नहीं होत है काम॥

इन हाथों से गढ़ दिए,सुन्दर देख जहान।
ताकत फिर भी है अभी,नहीं बिके ईमान॥

मन्दिर-मस्जिद सब गढ़े,महल अटारी ताल।
सड़क बाँध पुल सब बने,देखो हाथ कमाल॥

दुनिया के हर काम में,रहता मेरा हाथ।
कभी नहीं मैं सोंचता,रहे किसी का साथ॥

काम करूँ हर मोड़ पर,हर पल हो ये हाथ।
सदा देश कॆ मान पर,झुका रहे ये माथ॥

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