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गाँव का जीवन

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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गाँवों का जीवन भला,होता सुखमय यार।
घर-घर मीठे बोल है,पावन शुद्ध विचार॥

नहीं किसी से दुश्मनी,रहते मिल-जुल लोग।
शुद्ध हवा का द्वार है, होते सभी निरोग॥

सुन्दर-सुन्दर घर यहाँ,लिपे-पुते दीवार।
स्वर्ग यहाँ सिमटे मिले,छोटा-सा संसार॥

बाग-बगीचा वाटिका,वन-उपवन गुलजार।
कोयल कुहके डाल हैं,मैना की झंकार॥

अमराई की छाँव में,मिलता है आनन्द।
सैर करें आ गाँव की,समय बिता लो चंद॥

खेत और खलिहान में,करते काम किसान।
साथी इनके बैल हैं,धरती के भगवान॥

सुन्दर कोमल नारियाँ,बैठे करती बात।
सब अपने से हैं लगे,करे प्रेम बरसात॥

बरगद नीचे प्रेम से,बैठे जब चौपाल।
करे फैसला न्याय के,होते सब खुशहाल॥

सभी मनाते हैं यहाँ,मिलकर के त्यौहार।
हिन्दू-मुस्लिम एकता,गले मिले सब यार॥

मन्दिर माता शक्ति की,होती जय-जयकार।
रक्षक ठाकुर देव है,पूजे सब संसार॥

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