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दरकते रिश्ते

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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रिश्ते नाजुक डोर हैं,रखना इसे सम्हाल।
कहीं टूट जाये नहीं,होना नहीं बेहाल॥

रिश्ते मुश्किल से जुड़े,बन्धन है अनमोल।
इसे निभाना साथियों,स्वागत कर दिल खोल॥

बिकते रिश्ते हैं नहीं,यह तो है अहसास।
दिल कॆ नाजुक तार हैं,होते हरदम पास॥

कभी छोड़ जाना नहीं,बीच डगर में साथ।
कदम मिलाकर ही चलो,दे हाथों में हाथ॥

पवित्र रिश्ते को कभी,मत करना बदनाम।
जो दलदल पर ले चले,छोड़ो ऐसा काम॥

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