मैं हिंदी हूँ

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ************************************************** अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. भारत माँ के भाल चमकतीमें वो बिंदी हूँ,जो हिन्द देश का मान बढ़ाएमें वो हिंदी हूँ। सदियों से मुझसे ही तोज्ञान की ज्योति जली है,मेरी ही गोदी में छोटीउर्दू बहिन पली है,सभी भाषाएं मेरी सहेलीजिन्हें साथ लेकर चलती हूँ।मैं हिंदी हूँ,मैं हिंदी हूँ…॥ मेरा … Read more

यूँ ही नहीं बन जाती कविता

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* जब मन के भाव उमड़ते हैं,दर्द दिलों के छलकते हैंकलम हाथ में आ जाती है,कागज़ की कोरी छाती परअश्रु कणों की स्याही से ही,तब बन पाती मेरी कविता।यूँ ही नहीं बन जाती कविता… मिलना-बिछुड़ना यहां,सब संयोग से होता हैकर्मों की गठरी सिर पर,जीवन भर वो ढोता हैजब दिल के … Read more

हम उम्मीदों का दीया जलाएंगे

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. इस बार दीपावली ऐसे मनाएंगे,कोरोना का डर दिल से मिटाएंगे।विभिन्न रंगों की रंगोली बनाकर,अपना घर-आँगन खूब सजाएंगे। आस-पास करेंगे सफ़ाई सब मिल,दूरी बनाकर दीपक सजाएंगे।सजेगी दीपमाला हर घर में,गगन से देखने देव भी आएंगे। स्वदेशी उत्पादों का करेंगे प्रयोग,माटी के दीए किसी गरीब से लाएंगे।उसकी … Read more

जाने से पहले…

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* सोच रही हूँ एक दिन में भी,इस दुनिया से जब जाऊंगीपास रखी में सभी कमाई,वृद्धाश्रम दे,तब जाऊंगी। अपनों को भी किया बहुत है,और अभी भी करती जाती हूँकौन मानता है इन सबको,संस्कारों से बँध जाती हूँ। गया बाल्यपन,गई जवानी,अब ढलता-सा सूर्य-तेज हूँव्यंग्य बाण चुभते जब उनके,लगता काँटों बिछी सेज … Read more

मुंडेर पर रिश्ते

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* आज के माहौल में रिश्ते,मुंडेर में बैठे हुए हैंहम खाली बर्तनों की तरह,घरों में ऐंठे हुए हैं। भावनाओं की कश्ती जो,कभी खेते थे हमजर्जर हो चुकी वो,और छितरा गए हम। मुंडेर पे कागा बोलता था,खुश होते थे हमकौन आएगा कहां से,अंदाज़ा लगाते थे हम। संस्कारों के बीज सूख गए,फ़सल … Read more

बापू,देश का ये कैसा हाल!

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* गांधी जयंती विशेष………….. बापू तेरे इस देश का ये कैसा हाल है,बुझने लगी है जो तूने जलाई मशाल है। मन्दिर बने,मस्जिद बने और बन गए मण्डल,जो जल गया व कट मरा तेरा नौनिहाल है। दुनिया के दांव-पेंच में उलझा रहा हरदम,मुड़ कर भी जो आया न वो तेरा खयाल … Read more

जुल्फों में उलझ गया

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* हवा में जब उड़-उड़ जाए,ये ज़ुल्फ़ घनेरी मेरी।उनका दिल इलू-इलू करे,और राह तकें वो मेरी। इन जुल्फों में उलझ गया है,सुनो उनका दिल बेचारा।धड़के वो उनके सीने में,और नाम जपे वो हमारा। जब भी नहा कर आती हूँ मैं,इन ज़ुल्फ़ों से शबनम गिरती।मचलें ना वो इधर-उधर कहीं,तोलिये से उन्हें … Read more

हाँ,बस यही सच

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* प्रकृति को नोंच-नोंच कर,खा गए जो लाल धरा के।खुद को माला-माल कर गए,देखो वो लाल धरा के। कहीं भूचाल आते हैं,कहीं पहाड़ दरकते हैं।उफनती हैं नदियां,हाँ,बस यही सच है। ‘कोरोना’ की मार पड़ी है,जब से मेरे देश में मेरे यार।रिश्ते भी मजबूत हुए हैं,देखो घर में अबकी बार। लेकिन … Read more

मैं हिदी हूँ…मैं हिंदी हूँ

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. भारत माँ के भाल चमकती मैं वो बिंदी हूँ,जो हिन्द देश का मान बढ़ाए,मैं वो हिंदी हूँ। सदियों से मुझसे ही तो ज्ञान की ज्योति जली है,मेरी ही गोदी में छोटी उर्दू बहिन पली है।सभी भाषाएं मेरी सहेली,जिन्हें साथ ले के चली हूँ,मैं हिंदी हूँ…मैं हिंदी … Read more

लफ्ज़ का पत्थर जब…

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* लफ़्ज़ का पत्थर जो मारा था तुमने,वो दिन याद है जब रुलाया था तुमने। कैसे भूल जाऊं वो शीशे की किरचें,जो जान बूझ कर चुभाई थी तुमने। आएगा जमीं पे तू गुनाहगारों की मानिंद। किसी ने कहा कुछ तुम यकीं कर गए,जो प्यार था तुम्हारा वो किसे दे गए … Read more