करते सिक्के शोर!
प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ********************************************************** क़तर रहे हैं पंख वो,मेरे ही लो आज,सीखे हमसे थे कभी,भरना जो परवाज़। आखिर मंजिल से मिले,कठिन साँच की राह,ज्यादा पल टिकती नहीं,झूठ गढ़ी अफवाह। अब तक भँवरा गा रहा,जिसके मीठे राग,वो तितली तो उड़ चली,कब की दूजे बाग। वक्त-वक्त का खेल है,वक्त-वक्त की बात,आज सभी वो मौन हैं,जिनसे था उत्पात। जिनके … Read more