आओ हम संवाद करें

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** आओ बैठो पास हमारे, कुछ बात करें…। कुछ जमाने की हो, कुछ अपनी… कुछ कहनी भी हो कुछ सुननी… पर चुप ना रहें,संवाद करें… आओ हम कुछ बात करें। यदि हो समय विपरीत, तो भी हम प्रतिघात करें चारों और बिखरी उदासी हो… या टूटे हों सारे ख्वाब तुम्हारे… किंतु…आओ … Read more

खूबसूरत ग़ज़लों का संग्रह है `इशरते-क़तरा`

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** प्रखर गूँज प्रकाशन के तत्वाधान में देशपाल राघव वाचाल एवं संगीता कासिरेड्डी के कुशल सम्पादन में ग़ज़ल (साझा) संग्रह इशरते-क़तरा प्रकाशित हो चुका हैl पूरे देश के विभिन्न स्थानों से १९ ग़ज़लकारों की रचनाएं इसमें सम्मिलित हैं,जिसमें कुछ नवांकुर तो कुछ मंझे हुए रचनाकार भी हैं। सर्वप्रथम देशवाल राघव की … Read more

धरती माँ की रक्षा अनिवार्य

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… आज सारी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसी अंतरराष्ट्रीय समस्या से जूझ रही है,यद्यपि कई देशों की सरकारों द्वारा कई कदम उठाए गए हैं फिर भी आज दिनों-दिन पर्यावरणीय ह्रास, वायु तथा जल प्रदूषण में बढ़ोतरी,ओजोन परत में कमी,औद्योगिकरण,वन कटाई इत्यादि से तेलों का फैल जाना,पावर प्लांट,कीटनाशक … Read more

उत्तराखंड की आवाज है ‘पहाड़ी गूंज’

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** वर्तमान अंकुर के तत्वाधान में प्रकाशित साझा काव्य संग्रह पहाड़ी गूंज में हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के रचनाकारों ने अपना अप्रतिम योगदान दिया है। साझा संग्रह तथा क्षेत्रीय साझा संग्रह की श्रृंखला में यह पुस्तक अपना एक अलग स्थान रखती है। पुस्तक का संपादन निर्मेश त्यागी ने किया है तथा … Read more

उन्मुक्त कविताओं का संसार है ‘मुक्त तरंगिणी’

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** पुस्तक समीक्षा………………….. प्रखर गूँज प्रकाशन द्वारा प्रकाशित साझा संग्रह की श्रृंखला के अंतर्गत पूरन भंडारी सहारनपुरी द्वारा संकलित पुस्तक मुक्त तरंगिणी एक ऐसा काव्य संग्रह है,जिसमें रचनाकारों की भावनाओं का बिखराव उन्मुक्त रूप से हुआ है। जिस प्रकार जल की उन्मुक्तता सागर-सा विस्तार देती है,मन की उन्मुक्तता सपनों-सा आकाश देती … Read more