मन

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* मन बड़ा बलवान है ये, मन बड़ा बलवान। कभी तो लगता ईश्वर है, ये कभी लगता शैतान। मन बड़ा बलवान है ये मन… लाख सम्भाला इसको बाँधा, फ़िर भी नहीं पकड़ में आता। जतन किए कि बंधा रहे ये, फ़िर भी फ़िसल-फ़िसल ही जाता। कभी धूप में कभी छाँव … Read more

मदर्स-डे

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… वाह रे नए युग देखे जो तेरे परिवर्तन, दिनों-दिन। तूने माता-पिता के लिए भी निर्धारित कर दिए दो दिन। मदर्स-डे,फ़ादर्स-डे, अरे माता-पिता तो वो चन्दन हैं। उनके लिये तो हर दिन, हर पल वन्दन है। उनकी सेवा में ही छिपा परमेश्वर का प्यार है। उनकी … Read more

रीति

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* नेहा का विवाह होकर ससुराल में आये आज दूसरा दिन था। पहला दिन घर के रीति-रिवाज़,देव पूजन और मेहमानों से मिलने में गुजर गया था। आज जब सारे मेहमान जा चुके थे और वह नए घर में अपनी जिम्मेदारियों को समझने की कोशिश कर रही थी, तभी उसे मकान … Read more

बेरंग होली

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* इस महीने रमेश के वेतन से ८० प्रतिशत पैसा पत्नी के इलाज़ में खर्च हो चुका था। एक बार डॉक्टर के पास जाने की देर है,फ़िर तो ये जाँच ,वो जाँच दवाई से चार गुना रुपया डॉक्टर द्वारा लिखी गई जाँच में खर्च हो जाता है। एक बार तो … Read more

देख नज़ारा होली का

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* पहले ही थे गाल गुलाबी, रंग चढ़ गया होली का। साजन ने मारी पिचकारी, निखर गया रंग चोली का। यौवन पर हुआ देहरी के, मन हो गया बावरा। अँखियाँ ढूंढ रहीं प्रियतम को, कहाँ छिपा है साँवरा। फ़ागुन की अब चली बयार, साजन बैठा है उस पार। देख नज़ारा … Read more

घर की शोभा नारी

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… मैंने अकेले रहते हुए, घर में हर सुख सुविधा जुटाई। लेकिन- वो ख़ुशी कभी न पाई , जो माँ,बहिन,बेटी,बहू,भाभी के रहने से होती है। सच पूछो तो घर कितना ही बड़ा हो, पर घर की शोभा नारी ही होती है। आलीशान महल बनाया, सुख-सुविधा … Read more