वर्षा रानी चारुतम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** वर्षा रानी चारुतम,सज सोलह श्रृंगार। पीर गमन व्याकुल हृदय,मेघ नैन जलधार॥ विद्युत नभ क्रन्दन करे,सुता विदाई शोक। नील गगन दुहिता विरह,अश्क नैन बिन रोक॥ चमक व्योम नित बिजुरिया,वाद्य यंत्र शुभगान। स्वागतार्थ भू है खड़ी,वृष्टि वधू सम्मान॥ मातु-पिता प्रिय गेह को,तज वर्षा मन घोर। मन मयूर होता मुदित,मिलन प्रीत … Read more

दुश्मन हम ख़ुद प्रकृति के

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जल प्लावन आधी धरा,शेष शुष्क बदरंग। महाकाल धन जन जमीं,जलज बिखेरे जंग॥ जान माल बेघर प्रजा,बाढ़ त्रस्त निर्दोष। रोग शोक प्रसरित धरा,त्राहि-त्राहि उदघोष॥ दुश्मन हम ख़ुद प्रकृति के,कर्तन तरु पाषान। निजहित में हम भर सरित,आपद खुद हम जान॥ धन कुबेर तो महल में,आपद में बस आम। फेंक रोटियाँ … Read more

पैसा बोलता है

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** जग में सबसे है बड़ा,देखो पैसा आज। इसके बिन होता नहीं,बड़े-बड़े से काजll पैसा है तो मान है,पैसा से ही यार। पैसा से परिवार है,पैसा से संसारll बिन पैसा भोजन नहीं,भूखे हैं बेहाल। सज्जन माँगे भीख हैं,होते मालामालll पैसा से यह जान है,पैसा से ईमान। पैसा ही भगवान … Read more

देश विरोधी बदजुबां

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** लघु जीवन संसार में,सज बाज़ार जम़ात। वतन फ़िदा होंगे सभी,राष्ट्रधर्म ज़ज़्बातll सुलग रहा फिर गैंग वह,लौटाने सम्मान। खतरा उनको दिख स्वयं,हिफ़ाजत ए आनll पाये जो सारी खुशी,पूरे सब अरमान। उसी राष्ट्र में आज वे,कहते निज अपमानll झोली भर दे गालियाँ,नित भारत सरकार। पर बाधित उनकी नज़र,अभिभाषण अधिकारll रायसीना … Read more

उपकार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** भला सभी का कर चलो,और करो उपकार। दीन-हीन को दान दो,स्वच्छ रखो व्यवहार॥ उपकारी बन साथ में,करना ऐसा काम। दु:ख में खुशियाँ दे चलो,अमर रहेगा नाम॥ भलमानुष दाता बनो,हरो सकल सन्ताप। दीन-दुखी परिवार को,होय न पश्चाताप॥ उपकारी मानव बनो,करो सदा उपकार। परहित में सुख बाँटिये,लो अपनों-सा प्यार॥ नदिया … Read more

लगा रोग हरिनाम का

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** रे मन भज जगदीश को,शरणागत हरिनाम। तिलक भाल श्रीखण्ड का,पीताम्बर अभिरामll नारायण शारंगधर,भक्तिप्रेम सुखधाम। पीताम्बर गोलोक सुख,पावन हो विश्रामll रमा चित्त हरि भजन में,भवसागर हों पार। कहाँ फँसा माया जगत,राम नाम जग सारll लगा रोग हरिनाम का,क्या जीवन संसार। रमता मन निर्मल बने,जीवन का आधार॥ प्रेम सदा अनमोल … Read more

रुला तो न दोगे..

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचनाशिल्प:फाऊलुन×४, १२२ १२२ १२२ १२२) कहीं तुम मुझे यूँ भुला तो न दोगे। कि सपने सुहाने जला तो न दोगे॥ कयामत की रातें जुदाई की बातें, अगर दिल मिले तो रुला तो न दोगे। हजारों में तू एक दिल में बसी हो, सितमगर ये दामन उड़ा तो न … Read more

कँटीले अल्फ़ाज़ ए नूर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** भौतिक मायाजाल फँस,रिश्ते होते दूर। धन-वैभव छल झूठ में,कहाँ मिलेगी नूरll लुब्ध श्वान खल सर्प का,क्या उसूल ज़ज़्बात। रिश्ते हैं बस स्वार्थ के,वरन लगाए घातll बदचलन नित बदजुबां,नाशक घर परिवार। विवेकहीन असंयमित,बिखराता संसारll मृदुल प्रकृति नित संयमित,विनयशील व्यवहार। मधुरिम हो वाणी श्रवण,अपनापन जग सारll सोच सदा अनुकूल हो,नियति … Read more

जिंदगी से कभी दूर जाना नहीं

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचनाशिल्प:फ़ाइलुन×४, २१२ २१२ २१२ २१२) जिंदगी से कभी दूर जाना नहीं। राह मुश्किल बड़ी,जी चुराना नहीं। दिल परेशां अगर हो जहां में कभी, आप फिर भी किसी से जताना नहीं। ऐ मेरे हमसफ़र हार कर जिंदगी, दर्द-ए-गम का आँसू बहाना नहीं। प्यार की चाह में जो भटकना पड़े, … Read more

स्वच्छ भारत,स्वस्थ भारत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** निर्मल मानसपटल हो,स्वच्छ शील सुविचार। निर्मलता हो कर्म में,स्वस्थ राष्ट्र आधारll स्वच्छ रखें रनिवास को,स्वच्छ रखो परिवेश। स्वच्छ रखें भू संपदा,है बापू संदेशll अपने घर की गंदगी,फेंकें राह न नीर। नियत जगह निस्तार के,रखें स्वस्थ शरीरll रखें शूचिता ध्यान सब,मत केवल उपदेश। स्वच्छ हेतु है स्वस्थता,हो निरोग जन … Read more