कुल पृष्ठ दर्शन : 261

You are currently viewing स्वच्छ भारत,स्वस्थ भारत

स्वच्छ भारत,स्वस्थ भारत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)
****************************************************************************
निर्मल मानसपटल हो,स्वच्छ शील सुविचार।
निर्मलता हो कर्म में,स्वस्थ राष्ट्र आधारll

स्वच्छ रखें रनिवास को,स्वच्छ रखो परिवेश।
स्वच्छ रखें भू संपदा,है बापू संदेशll

अपने घर की गंदगी,फेंकें राह न नीर।
नियत जगह निस्तार के,रखें स्वस्थ शरीरll

रखें शूचिता ध्यान सब,मत केवल उपदेश।
स्वच्छ हेतु है स्वस्थता,हो निरोग जन देश॥

हम सबका कर्तव्य है,स्वस्थ रहे इन्सान।
घर समाज नाला नदी,करें स्वच्छ अभियान॥

शौचालय निर्माण कर,जनता का कल्याण।
रहे स्वस्थ जन देश का,सरकारी अभियान॥

चलो स्वच्छ अभियान में,मिटे गंदगी देश।
रोगरहित निर्मल वतन,स्वच्छ विश्व संदेश॥

स्वच्छ करो वातावरण,रोको तरुवन काट।
बन्द करो गिरिनाश अब,प्रकृति बचा संताप॥

सलिल विषैला न बहे,नदी सर निर्झर ताल।
स्वच्छ रहे नित जल जमीं,वरना हो बदहाल॥

खुशहाली रनिवास है,स्वच्छ गेह प्रभु वास।
पॉलिथिन मुक्त हो वतन,शुद्ध वायु लें श्वाँस॥

मिलकर भारत में करें,स्वच्छ स्वस्थ अभियान।
प्रकृति सहित शील शुचिता,बढ़े वतन जग मान॥

कवि निकुंज मन स्वच्छता,स्वस्थ रहें अभिराम।
रहें स्वच्छ साक्षर बनें,शान्ति प्रगति सुखधाम॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

Leave a Reply