बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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(रचनाशिल्प:फाऊलुन×४, १२२ १२२ १२२ १२२)
कहीं तुम मुझे यूँ भुला तो न दोगे।
कि सपने सुहाने जला तो न दोगे॥
कयामत की रातें जुदाई की बातें,
अगर दिल मिले तो रुला तो न दोगे।
हजारों में तू एक दिल में बसी हो,
सितमगर ये दामन उड़ा तो न दोगे।
मुहब्बत का इक आशियाना बनाऊँ,
मेरे हमसफ़र तू तुड़ा तो न दोगे।
ये ‘बोधन’ तुम्हारा दीवाना बना है,
कहीं आजमा के छुड़ा तो न दोगे॥