कुल पृष्ठ दर्शन : 198

रुला तो न दोगे..

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
********************************************************************

(रचनाशिल्प:फाऊलुन×४, १२२ १२२ १२२ १२२)
कहीं तुम मुझे यूँ भुला तो न दोगे।
कि सपने सुहाने जला तो न दोगे॥

कयामत की रातें जुदाई की बातें,
अगर दिल मिले तो रुला तो न दोगे।

हजारों में तू एक दिल में बसी हो,
सितमगर ये दामन उड़ा तो न दोगे।

मुहब्बत का इक आशियाना बनाऊँ,
मेरे हमसफ़र तू तुड़ा तो न दोगे।

ये ‘बोधन’ तुम्हारा दीवाना बना है,
कहीं आजमा के छुड़ा तो न दोगे॥

Leave a Reply