कुल पृष्ठ दर्शन : 333

You are currently viewing देश विरोधी बदजुबां

देश विरोधी बदजुबां

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)
****************************************************************************
लघु जीवन संसार में,सज बाज़ार जम़ात।
वतन फ़िदा होंगे सभी,राष्ट्रधर्म ज़ज़्बातll

सुलग रहा फिर गैंग वह,लौटाने सम्मान।
खतरा उनको दिख स्वयं,हिफ़ाजत ए आनll

पाये जो सारी खुशी,पूरे सब अरमान।
उसी राष्ट्र में आज वे,कहते निज अपमानll

झोली भर दे गालियाँ,नित भारत सरकार।
पर बाधित उनकी नज़र,अभिभाषण अधिकारll

रायसीना से न्याय तक,पदासीन जिस देश।
उन्हें आज बस दिखता,असहिष्णु परिवेशll

टुकड़े-टुकड़े गैंग में,साथ खड़े जो लोग।
सबूत माँग नापाक के,फँसे दहशती रोगll

वोटबैंक के लालची,छेड़ धर्म का जंग।
कर विरोध श्री राम का,छिड़के नफ़रत रंगll

पंच कोटि जिस कौम को,छात्रवृत्ति सरकार।
हज़ संख्या दो लाख कर,तोड़ देश आधारll

देशविरोधी बदजुबां,करें राष्ट्र अपमान।
लहराएँ नापाक ध्वज,गा आतंकी गानll

कसी वतन ए सल्तनत,देशद्रोह नकेल।
बहुमत पा हो बलवती,दे आतंकी जेल॥

रहते हैं जिस देश में,बहुसंख्यक अवमान।
तभी बनें निरपेक्ष हम,कहलाएँ इन्सान॥

है कैसी यह दुर्दशा,विडम्बना इस देश।
मक्कारी कर देश से,छद्म धर्म संदेश॥

कवि ‘निकुंज’ विस्मित दुखी,देख देश गद्दार।
पाल-पोष सम्मान दे,करे राष्ट्र दुत्कार॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

Leave a Reply